‘Son of Hamas’ Mosab Hassan Yousef : यदि हम इस्लाम से नहीं लड़ेंगे तो विश्व संकट में पड जाएगा ! – मोसाब हसन युसेफ

हमास संस्थापक के बेटे का बड़ा बयान; इजराइल का समर्थन करें !

मोसाब हसन युसेफ

तेल अवीव (इज़राइल) – जिहादी आतंकवादी संगठन हमास के सह-संस्थापक शेख हसन यूसुफ के बेटे मोसाब हसन युसेफ ने उजागर किया है कि ‘हमास कैसे आतंक फैलाता है ?’ अब उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है. ‘ग्रीन प्रिंस’ के नाम से मशहूर मोसाब ने कहा, ”फिलिस्तीन इजराइल के विनाश पर निर्भर है।” यदि फ़िलिस्तीन की कोई परिभाषा है, तो इसका अर्थ है ‘इज़राइल का विनाश’।” “अगर हम इस्लाम से नहीं लड़ेंगे तो दुनिया संकट में है। हमें जागने की आवश्यकता है और  यदि हम इस अस्तित्व संबंधी संकट को नकारते हैं, तो हमें इसका सामना करना होगा,” उन्होंने उस यह भी कहा था।

१. मोसाब ने आगे कहा, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि फिलिस्तीन क्या है? क्या यह एक जातीय समूह है ? क्या कोई धर्म है? क्या कोई विशिष्ट भाषा है? क्या उनके (फ़िलिस्तीन) पास धर्मग्रंथ हैं? क्या यह एक राष्ट्र है? क्या यह कोई देश था? यदि इनमें से कुछ भी नहीं है तो फ़िलिस्तीन क्या है? उन्होंने पूछा, फ़िलिस्तीन का उद्देश्य क्या है ?

२. मोसाब के अनुसार ‘फिलिस्तीनी अथॉरिटी’ (पीए) हमास से भी बड़ा संकट है । ‘फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन’ की  समस्त वैश्विक अराजकता का प्रबंधन ‘पीए’ द्वारा किया जाता है। (पीए उसी आतंकवाद से आता है  जिससे हमास या मुस्लिम ब्रदरहुड से उत्पन्न किसी अन्य समूह से आता है।)

३. इस कार्यक्रम में मोसाब ने अनुमानित १४ शताब्दियों तक मुसलमानों के हाथों यहूदियों के नरसंहार का इतिहास बताया। उन्होंने इसे स्वीकार करने से  नकारने के लिए यहूदी लोगों की आलोचना की। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यदि यहूदी इस सच्चाई को स्वीकार कर लेंगे तो उन्हें बहुसंख्यक मुसलमानों का सामना करना पड़ेगा । ” इजराइल के  विरुद्ध इस समय इतना प्रचार हो रहा है कि जब लोग इसे दिन में हजारों बार देखते हैं तो इस पर विश्वास करने लगते हैं।

 मोसाब का इतिहास

मोसाब एक पूर्व फिलिस्तीनी आतंकवादी है। वह १९९७ में इज़राइल चले गए और २००७ में अमेरिका जाने तक इज़राइली सुरक्षा समूह शिन बेट के लिए जासूस के रूप में काम किया।

संपादकीय भूमिका 

हमास के संस्थापक का बेटा हिन्दू नहीं अपितु मुस्लिम है और वह हमास का पूर्व आतंकवादी भी रहा है। उसका यह कथन है ; परंतु न केवल भारत में, अपितु पूरे विश्व के धर्मनिरपेक्षतावादी, तथाकथित आधुनिकतावादी और इस्लामप्रेमी इस कथन पर कभी विश्वास नहीं करेंगे ! यह भी सर्वज्ञात सत्य है ।