‘निर्विचार’ नामजप का साधकों और संतों पर होनेवाला परिणाम

 ‘निर्विचार’ नामजप के संदर्भ में की गई शोधपूर्ण जांच से ध्यान में आता है कि ‘निर्विचार’ जप आध्यात्मिक पीडा रहित एवं आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक है, ऐसे साधकों के लिए उपयोगी है ।

अत्यधिक तीखे अन्न का सेवन करने से होनेवाले शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक परिणाम

हरी मिर्च और लाल मिर्च, ये दोनों पदार्थ प्रत्यक्ष में भारतीय नहीं हैं, तब भी भारतीय भोजन से वे इतने समरस हो गए हैं कि चटपटे अन्न का विचार करने पर सर्वप्रथम भारतीय भोजन ही आंखों के सामने आता है ।

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी की देह तथा उनके उपयोग में अंतर्भूत वस्‍तुआें पर गुलाबी आभा आना

‘परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी की त्‍वचा, नख एवं केश जिस प्रकार पीले हो रहे हैं, उसके साथ ही उनकी आंखों का अंदरूनी भाग, हाथ-पैर के अंदरूनी भाग, तथा जीभ और होंठ भी गुलाबी हो रहे हैं । यह परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी में व्‍याप्‍त ईश्‍वर की सर्वव्‍यापक प्रीति के रंग का आविष्‍कार है ।

विविध विकारों पर उपचार करनेवाले संगीत के रागों का, उस विकार से पीडित और आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त व्यक्तियों पर होनेवाले परिणाम का अध्ययन करने हेतु प्रयोग

इस विश्‍व में कुछ घटक आंखों से देख सकते हैं, तो कुछ देख नहीं सकते । ‘जो घटक आंखों से दिखाई नहीं देते, उनका अस्‍तित्‍व ही नहीं’, ऐसा नहीं है, उदा. वायु आंखों से दिखाई नहीं देती, अर्थात ‘वह नहीं है’, ऐसा नहीं है ।

महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय द्वारा अब तक संगीत के संदर्भ में किए गए विविध प्रयोग

‘भारतीय संगीत का व्‍यक्‍ति, प्राणी तथा वातावरण पर क्‍या परिणाम होता है ?’, इसके संदर्भ में ६०० से अधिक विविध प्रयोग किए गए हैं तथा अभी भी यह शृंखला चल रही है ।

रसोई बनाते समय पदार्थ में मिर्च का उपयोग अत्‍यल्‍प मात्रा में करें !

‘पूर्वकाल की गृहिणियां सात्त्विक थीं । उनके आचार-विचार सात्त्विक थे, इसलिए उनकी बनाई रसोई सात्त्विक और स्वादिष्ट लगती थी । अपनी दादी के हाथ की बनी सात्त्विक रसोई आज भी अनेक लोगों को स्मरण है । वर्तमान विज्ञानयुग में मानव का जीवन अत्यंत भागदौड से भरा और तनावपूर्ण हो गया है ।

देवता को भावपूर्ण भोग चढाकर उसे ‘प्रसाद’ के भाव से ग्रहण करने पर व्यक्ति को मिलनेवाले आध्यात्मिक लाभ !

‘हिन्‍दू धर्म में देवता को भोग चढाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है । ‘देवता को भोग चढाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करनेवाले व्‍यक्‍ति पर आध्‍यात्मिक दृष्‍टि से क्‍या परिणाम होता है ?’ परीक्षण में प्राप्‍त निरीक्षणों का विवेचन, उनसे प्राप्‍त निष्‍कर्ष और उनका अध्‍यात्‍मशास्‍त्रीय विश्‍लेषण आगे दिया गया है ।

३१ दिसंबर की रात को ‘न्यू ईयर पार्टी’ द्वारा नववर्ष का स्वागत करनेवालों पर वहां के वातावरण का हुआ नकारात्मक परिणाम

३१ दिसंबर की रात ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ द्वारा नववर्ष का स्‍वागत करनेवालों पर वहां के वातावरण का आध्‍यात्मिक दृष्‍टि से क्‍या परिणाम होता है ?’, विज्ञान के माध्‍यम से इसका अध्‍ययन करने के लिए ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ की ओर से एक परीक्षण किया गया ।

भगवान दत्तात्रेय के तारक और मारक नामजप का तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित साधकों पर हुआ परिणाम

समाज के अनेक लोगों को अनिष्‍ट शक्‍तियों का (आध्‍यात्मिक) कष्‍ट होता है । अनिष्‍ट शक्‍तियों के कारण व्‍यक्‍ति को शारीरिक और मानसिक कष्‍ट होते हैं तथा जीवन में अन्‍य बाधाएं भी आती हैं । अनिष्‍ट शक्‍तियों के कष्‍ट के कारण साधकों की साधना में भी बाधाएं आती हैं; परंतु दुर्भाग्‍य से अनेक लोग इस कष्‍ट से अनभिज्ञ होते हैं ।

जोंक के सामने एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेदीय औषधि की गोलियां रखने पर उसके द्वारा दिया प्रतिसाद और उसपर हुआ परिणाम

आयुर्वेद के देवता श्री धन्वन्तरी के चित्र में उनके दाहिने हाथ में जोंक दिखाई देती है । सामान्यत:आयुर्वेद में जोंक का उपयोग  शरीर में रक्त संबंधी व्याधि के निवारण हेतु किया जाता है । ३०.७.२०२० को गोवा में सनातन आश्रम के मुख्य प्रवेशद्वार के निकट एक जोंक दिखाई दी । वह सात्त्विक वस्तुआें की ओर आकृष्ट हो रही थी ।