३१ दिसंबर की रात को ‘न्यू ईयर पार्टी’ द्वारा नववर्ष का स्वागत करनेवालों पर वहां के वातावरण का हुआ नकारात्मक परिणाम

अभिनव आध्‍यात्मिक अनुसंधान करनेवाला  महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय

‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ द्वारा ‘यूएएस (यूनिवर्सल ऑरा स्‍कैनर)’ उपकरण
के माध्‍यम से किया गया वैज्ञानिक परीक्षण

     ‘चैत्र शुक्‍ल पक्ष प्रतिपदा को अर्थात गुडी पडवा को भारतीयों का नववर्ष आरंभ होता है, तब भी पिछले कुछ दशकों से भारत में ३१ दिसंबर की रात १२ बजे नववर्ष का स्‍वागत करने की पद्धति सर्वत्र प्रचलित हो गई है । समाज में ३१ दिसंबर की रात किसी होटल में जाकर वहां ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ अर्थात नववर्ष के उपलक्ष्य में खाने-पीने मौज-मस्‍ती करनेवालों की संख्‍या भी बढी है । ३१ दिसंबर की रात ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ द्वारा नववर्ष का स्‍वागत करनेवालों पर वहां के वातावरण का आध्‍यात्मिक दृष्‍टि से क्‍या परिणाम होता है ?’, विज्ञान के माध्‍यम से इसका अध्‍ययन कर

ने के लिए ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यूएएस (यूनिवर्सल ऑरा स्‍कैनर)’ उपकरण का उपयोग किया गया । इस परीक्षण का स्‍वरूप, प्राप्‍त गणनाआें की प्रविष्‍टियां तथा उनका विवरण आगे दिया है ।

१. परीक्षण का स्‍वरूप 

     इस परीक्षण में कुल ११ साधक (३ भारतीय और ८ विदेशी साधक सम्‍मिलित थे । इनमें से ८ साधकों को तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट (टिप्‍पणी १) हैं तथा ३ साधकों को आध्‍यात्मिक कष्‍ट नहीं है । आध्‍यात्मिक पीडासे रहित  ३ साधकों में से १ साधक का आध्‍यात्मिक स्‍तर ६२ प्रतिशत (टिप्‍पणी २) है और शेष दोनों का आध्‍यात्मिक स्‍तर ६० प्रतिशत से अल्‍प है । इस प्रयोग के अंतर्गत परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधक पाश्‍चात्‍य संस्‍कृतिनुसार

केशभूषा (हेयरस्‍टाइल), रंगभूषा (मेकअप) और वेशभूषा कर गोवा के एक नामांकित होटल में आयोजित ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ में सम्‍मिलित हुए । वहां ये सभी साधक ५ घंटे थे । ३१.१२.२०१८ की रात को पार्टी में जाने से पूर्व तथा १.१.२०१९ को सुबह पार्टी से लौटने पर ‘यूएएस’ उपकरण द्वारा उन सभी की गणना कर प्रविष्‍टियां ली गईं । इन सभी गणनाआें का तुलनात्‍मक अध्‍ययन किया गया ।

     टिप्‍पणी १ – आध्‍यात्मिक कष्‍ट : आध्‍यात्मिक

कष्‍ट होना, अर्थात व्‍यक्‍ति में नकारात्‍मक स्‍पंदन होना । व्‍यक्‍ति में नकारात्‍मक स्‍पंदन ५० प्रतिशत अथवा उससे अधिक होना, तीव्र कष्‍ट का, नकारात्‍मक स्‍पंदन ३० से ४९ प्रतिशत होना, मध्‍यम कष्‍ट, तथा ३० प्रतिशत से अल्‍प होना, मंद आध्‍यात्मिक कष्‍ट का लक्षण है । आध्‍यात्मिक कष्‍ट प्रारब्‍ध, पूर्वजों की अतृप्‍ति से उत्‍पन्‍न कष्‍ट इत्‍यादि आध्‍यात्मिक स्‍तर के कारणों से होता है । आध्‍यात्मिक कष्‍ट का निदान संत अथवा सूक्ष्म स्‍पंदन जाननेवाले साधक कर सकते हैं ।

     टिप्‍पणी २ – ६० प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर का म

हत्त्व : ‘ईश्‍वर का आध्‍यात्मिक स्‍तर १०० प्रतिशत मानें और निर्जीव वस्‍तुआें की १ प्रतिशत मानें, तो इस कलियुग में सामान्‍य मनुष्‍य का आध्‍यात्मिक स्‍तर २० प्रतिशत होता है । इस स्‍तर का व्‍यक्‍ति केवल स्‍वयं के सुख-दुःख का विचार करता है । उसका समाज से कोई लेना-देना नहीं होता और ‘मैं ही सब करता हूं’, ऐसा उसका विचार होता है । आध्‍यात्मिक स्‍तर ३० प्रतिशत होता है, तब कुछ मात्रा में वह ईश्‍वर का अस्‍तित्‍व स्‍वीकार करने लगता है, तथा साधना और सेवा करने लगता है । माया और ईश्‍वरप्राप्‍ति की लगन समान होने पर व्‍यक्‍ति

का आध्‍यात्मिक स्‍तर ५० प्रतिशत होता है । आध्‍यात्मिक स्‍तर जब ६० प्रतिशत होता है, तब वह व्‍यक्‍ति माया से अलिप्‍त (अछूता) होने लगता है । उसका मनोलय आरंभ होता है और उसे विश्‍वमन के विचार ग्रहण होने लगते हैं । मृत्‍यु के पश्‍चात जन्‍म-मृत्‍यु के फेरों से मुक्‍त होकर उसे महर्लोक में स्‍थान प्राप्‍त होता है ।’

– (परात्‍पर गुरु) डॉ. आठवले

     टिप्‍पणी ३ – तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित ८ साधकों की गणना का कुल झुकाव (ट्रेंड) एक जैसा ही था । आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित ३ साधकों की गणना का कुल झुकाव (ट्रेंड) भी एक जैसा ही था । इसलिए इस लेख में सभी साधकों की गणना की प्रविष्‍टियां न देकर उदाहरण के रूप में तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित २ साधक, आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित १ साधक और आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित, ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक

स्‍तर का १ साधक, ऐसे कुल ४ साधकों की गणनाआें की प्रविष्‍टियां दे रहे हैं ।

     पाठकों को सूचना : स्‍थान के अभाव में इस लेख में ‘यूएएस उपकरण का परिचय’, ‘उपकरण द्वारा किए जानेवाले परीक्षण के घटक और उनका विवरण’, ‘घटक का प्रभामंडल नापना’, ‘परीक्षण की पद्धति’ और ‘परीक्षण में समानता लाने के लिए ली गई दक्षता’ ये नियमित सूत्र (आलेख) सनातन संस्‍था के www.sanatan.org/hindi/universal-scanner लिंक पर दी है । इस लिंक में कुछ अक्षर कैपिटल (Capital) हैं ।

२. किए गए परीक्षण और उनका विवेचन

२ अ. नकारात्‍मक ऊर्जा संबंधी गणनाआें का विवेचन
२ अ १. पार्टी से लौटने पर परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधकों की ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा में अत्‍यधिक वृद्धि होना : ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ में जाने से पूर्व परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधकों में ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा थी । पार्टी से लौटने पर इन साधकों की इस नकारात्‍मक ऊर्जा में हुई अत्‍यधिक वृद्धि आगे दी सारणी में दर्शाई गई है ।

उपर्युक्‍त सारणी से निम्‍नांकित सूत्र ध्‍यान में आते हैं ।
अ. तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित दोनों साधकों की नकारात्‍मक ऊर्जा के प्रभामंडल में हुई वृद्धि लगभग समान ही थी ।
आ. तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित साधकों की अपेक्षा आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित साधक की नकारात्‍मक ऊर्जा के प्रभामंडल में हुई वृद्धि थोडी अल्‍प थी ।
इ. आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर के साधक की नकारात्‍मक ऊर्जा के प्रभामंडल में हुई वृद्धि और अल्‍प थी ।
२ अ २. पार्टी से लौटने पर तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित दोनों साधकों में ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा बडी मात्रा में बढना तथा आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित साधक और ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर के साधकों में भी नकारात्‍मक ऊर्जा उत्‍पन्‍न होना ।

टिप्‍पणी – आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित साधक और ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर का साधक, इनमें आरंभ में ‘अल्‍ट्रावॉयलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा नहीं थी ।

२ आ. सकारात्‍मक ऊर्जा संबंधी परीक्षण का विवेचन

     सभी व्‍यक्‍ति, वास्‍तु अथवा वस्‍तुआें में सकारात्‍मक ऊर्जा नहीं होती ।

२ आ १. तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित दोनों साधकों में सकारात्‍मक ऊर्जा नहीं पाई गई ।

२ आ २. पार्टी से लौटने पर आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित साधक और ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर के साधक की सकारात्‍मक ऊर्जा नष्‍ट होना : आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित साधक और ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर के साधकों में आरंभ में सकारात्‍मक ऊर्जा थी और उसका प्रभामंडल क्रमश: १.२३ मीटर और १.८४ मीटर था; परंतु पार्टी से लौटने पर उनमें सकारात्‍मक ऊर्जा नहीं पाई गई । इसका अर्थ यह हुआ कि पार्टी से लौटने पर उनकी सकारात्‍मक ऊर्जा नष्‍ट हो गई ।

२ इ. कुल प्रभामंडल (टिप्‍पणी) संबंधी परीक्षण का विवेचन

     टिप्‍पणी  कुल प्रभामंडल : व्‍यक्‍ति के संदर्भ में उसकी लार, तथा वस्‍तु के संदर्भ में उस पर लगे धूलकण अथवा उसके थोडे से भाग को ‘नमूने’ के रूप में उपयोग कर उस व्‍यक्‍ति अथवा वस्‍तु का ‘कुल प्रभामंडल’ नापते हैं ।

     सामान्‍य व्‍यक्‍ति अथवा वस्‍तु का कुल प्रभामंडल लगभग १ मीटर होता है ।

२ इ १. पार्टी से लौटने पर परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधकों के कुल प्रभामंडल में अत्‍यधिक वृद्धि हुई

३. निष्‍कर्ष

     ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ से लौटने पर परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधकों पर कष्‍टदायक शक्‍ति का अत्‍यधिक परिणाम होना, उनकी नकारात्‍मक ऊर्जा में हुई वृद्धि से दिखाई दिया ।

     ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ का आयोजन करने के पीछे आयोजकों का उद्देश्‍य होता है, ‘ग्राहकों को आकर्षित करना, उनका मनोरंजन करना और उस माध्‍यम से बहुत पैसा कमाना ।’  वहां पाश्‍चात्‍य पद्धति के नृत्‍य, संगीत, प्रकाशयोजना इत्‍यादि की व्‍यवस्‍था की जाती है । वहां मांसाहारी पदार्थों के साथ मद्य की भी भरमार होती है । इस पार्टी में आए हुए अधिकांश स्‍त्री-पुरुष के कपडे, बाल तथा मेकअप असात्त्विक होता है । कुल मिलाकर वहां का वातावरण बहुत ही असात्त्विक होता है । साधक पार्टी हेतु जिस होटल में गए थे, वहां भी ऐसा ही था । असात्त्विक बातों की ओर वातावरण के नकारात्‍मक स्‍पंदन आकृष्‍ट होना स्‍वाभाविक है । पार्टी का वातावरण जितना अधिक रज-तम युक्‍त, वहां उतनी बडी मात्रा में नकारात्‍मक स्‍पंदन आकृष्‍ट होने की संभावना बढती है । ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ के समय किए गए परीक्षण से यही पाया गया । पार्टी का वातावरण अत्‍यधिक रज-तम युक्‍त होने के कारण परीक्षण में सम्‍मिलित साधकों के केवल ५ घंटे वहां रहने पर, उन पर नकारात्‍मक स्‍पंदनों का अत्‍यधिक परिणाम हुआ । इस विषय का विवरण आगे दिया है ।

३ अ. परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधकों की ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा में अत्‍यधिक वृद्धि होना : व्‍यक्‍ति की देह के चारों ओर कष्‍टदायक शक्‍ति का आवरण ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा से दर्शाया जाता है । पार्टी के अत्‍यधिक रज-तम युक्‍त वातावरण में कुछ घंटे रहने से परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधकों के चारों ओर छाए कष्‍टदायक शक्‍ति के आवरण में अत्‍यधिक वृद्धि हुई । इसलिए सभी साधकों में ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा बडी मात्रा में बढी हुई पाई गई । (आज तक महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय की ओर से किए गए सैकडों प्रयोगों के अंतर्गत असात्त्विक संगीत सुनना, असात्त्विक परिधान पहनना, असात्त्विक अलंकार पहनना इत्‍यादि प्रयोगों के समय उन असात्त्विक बातों के संपर्क में आने पर साधकों की ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा में वृद्धि पाई गई; परंतु इस परीक्षण में यह सर्वाधिक थी ।)

३ आ. तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित दोनों साधकों की ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा अत्‍यधिक बढना तथा आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित साधक और ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर के साधक में कुछ मात्रा में  वह नकारात्‍मक ऊर्जा निर्माण होना

१. तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित साधकों में अनिष्‍ट शक्‍तियों के कष्‍ट के कारण कष्‍टदायक शक्‍ति का स्‍थान होता है तथा उनके चारों ओर कष्‍टदायक शक्‍ति का आवरण भी होता है । कष्‍टदायक शक्‍ति के स्‍थान में स्‍थित कष्‍टदायक शक्‍ति ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा से दर्शाई जाती है । पार्टी से लौटने पर तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित साधकों की ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा  में अत्‍यधिक वृद्धि पाई गई । वहां का वातावरण अत्‍यंत रज-तम युक्‍त होने से साधकों को कष्‍ट देनेवाली अनिष्‍ट शक्‍तियां वहां के कष्‍टदायक स्‍पंदन सहजता से बडी मात्रा में ग्रहण और प्रक्षेपित कर पाईं । इसके परिणामस्‍वरूप साधकों की ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा में अत्‍यधिक वृद्धि पाई गई । (आज तक महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय की ओर से किए गए सैकडों प्रयोगों में असात्त्विक बातों के संपर्क में आने से तीव्र आध्‍यात्मिक कष्‍ट से पीडित साधकों में ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा में वृद्धि होना दिखाई दिया है; परंतु इस परीक्षण के समय यह मात्रा सर्वाधिक थी ।)

२. आध्‍यात्मिक कष्‍ट रहित साधक और ६२ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर के साधक की देह के चारों ओर कुछ मात्रा में कष्‍टदायक शक्‍ति का आवरण था । इसलिए आरंभ में उनमें कुछ मात्रा में ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा पाई गई; परंतु उनमें ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा बिलकुल नहीं थी । इसके विपरीत उनमें सकारात्‍मक ऊर्जा थी । पार्टी के रज-तमप्रधान वातावरण के परिणामस्‍वरूप उन साधकों की देह के चारों ओर कष्‍टदायक शक्‍ति का आवरण बढा । उस आवरण का प्रतिकार करने में उनकी सकारात्‍मक ऊर्जा खर्च हुई, इसलिए वह नष्‍ट हो गई । संक्षेप में, उनकी साधना खर्च हुई । साथ ही पार्टी के रज-तम युक्‍त वातावरण के कारण वहां आकृष्‍ट हुई अनिष्‍ट शक्‍तियों से वातावरण में बडी मात्रा में तीव्र गति से नकारात्‍मक स्‍पंदनों का प्रक्षेपण होने के कारण वहां का वातावरण अतिशय दूषित  था । इसके परिणामस्‍वरूप उन दोनों साधकों में पार्टी से लौटने पर बडी मात्रा में ‘अल्‍ट्रावायोलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा भी पाई गई ।

३ इ. परीक्षण में सम्‍मिलित सभी साधकों के कुल प्रभामंडल में नकारात्‍मक स्‍पंदनों में वृद्धि होने के कारण उनके कुल प्रभामंडल में अत्‍यधिक वृद्धि हुई ।

३ ई. परीक्षण में सम्‍मिलित कुछ साधक भारतीय थे और कुछ विदेशी; परंतु उन पर हुए नकारात्‍मक स्‍पंदनों का परिणाम एक जैसा ही था ।

३ उ. साधकों पर हुए नकारात्‍मक स्‍पंदनों का परिणाम ४८ घंटे, अर्थात २ दिन बने रहना : परीक्षण में सम्‍मिलित साधकों पर हुए नकारात्‍मक स्‍पंदनों का परिणाम दूर होने में पूरे ४८ घंटे लगे । इससे अनेक वर्ष साधना करनेवाले साधकों पर केवल कुछ घंटे रज-तमप्रधान वातावरण में जाने पर इतना हानिकारक परिणाम होता होगा, तो साधना न करनेवालों पर वह कितनी बडी मात्रा में हो सकता है, इसकी कल्‍पना भी नहीं कर सकते ।

     संक्षेप में कहें, तो ३१ दिसंबर की रात को नववर्ष का स्‍वागत करने के लिए आयोजित ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ में जाना बहुत ही हानिकारक है, इस वैज्ञानिक परीक्षण से यह ध्‍यान में आता है ।’

– श्रीमती मधुरा धनंजय कर्वे, महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय, गोवा. (५.१.२०१९)

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