भगवान को नमस्कार करने की उचित पद्धति तथा उससे संबंधित शोध

‘देवालय में देवता के दर्शन करते समय हम दोनों हाथ जोडकर भगवान को नमस्कार करते हैं । दोनों हाथों के तलुओं को एक-दूसरे पर रखने से (अर्थात एक-दूसरे को चिपकाकर) जो मुद्रा बनती है, उसे ‘नमस्कार’ कहते हैं ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से ‘आभूषणों का व्यक्ति पर होनेवाला प्रभाव’ विषय पर फ्रांस में ‘ऑनलाइन’ पद्धति से शोधनिबंध का प्रस्तुतीकरण !

आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक आकार के आभूषण सात्त्विक स्पंदनों को आकर्षित कर सकते हैं तथा स्त्री को उसकी आध्यात्मिक प्रगति में लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं, तो दूसरी ओर आध्यात्मिक दृष्टि से नकारात्मक आकार के आभूषण रज-तमात्मक स्पंदनों को आकर्षित कर स्त्री के प्रभामंडल पर नकारात्मक प्रभाव करा सकते हैं ।

व्यक्ति जो आहार ग्रहण करता है, उसका व्यक्ति पर आध्यात्मिक स्तर पर होनेवाला परिणाम

पहले प्रयोग में व्यक्ति को उपाहार गृह में बनाए गए शाकाहारी (मिक्स वेज) एवं मांसाहारी (फिशफ्राई एवं चिकनफ्राई) पदार्थ खाने के लिए दिए गए । दूसरे प्रयोग में उसे सात्त्विक स्थान पर (सनातन के आश्रम में) बनाई गई सब्जी खाने के लिए दी गई ।

वास्तु के अलग-अलग स्थानों में विचरण करते समय वहां कार्यरत स्पंदनों का व्यक्ति पर (उसकी सूक्ष्म ऊर्जा पर) परिणाम

वास्तु में विद्यमान स्पंदनों का प्रभाव व्यक्ति का मन, बुद्धि एवं शरीर पर पडता है । उसके कारण वास्तुशास्त्र के नियमों को ध्यान में लेकर घर का निर्माण करने से मनुष्य को अच्छा स्वास्थ्य, सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी द्वारा लिखित तथा आध्यात्मिक शोध पर आधारित शोधनिबंध का अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में प्रस्तुतीकरण !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा फ्रांस में आयोजित २४ अक्टूबर २०२२ को ‘इंटरनेशनल समिट ऑन फैशन, ब्यूटी एंड कॉस्मेटोलॉजी एक्सपो’ परिषद में ‘आभूषण व्यक्ति के प्रभामंडल पर कैसे परिणाम करते हैं ?’ इस शोधनिबंध का ‘ऑनलाइन’ प्रस्तुतीकरण किया गया ।

अगस्त २०२२ में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा लिखित आध्यात्मिक शोधकार्य पर आधारित २ शोधनिबंधों का प्रस्तुतीकरण !

विश्वविद्यालय ने अक्टूबर २०१६ से ३१ अगस्त २०२२ की अवधि में १७ राष्ट्रीय तथा ७९ अंतरराष्ट्रीय, ऐसे कुल मिलाकर ९६ वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं । विश्वविद्यालय को अभी तक कुल ११ अंतरराष्ट्रीय परिषदों में ‘सर्वाेत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण पुरस्कार’ प्राप्त हुए हैं ।

पितृपक्ष की अवधि में ‘श्री गुरुदेव दत्त ।’ नामजप की अपेक्षा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ ।’ नामजप का साधकों पर बहुत अधिक सकारात्मक परिणाम होना

‘समाज के लगभग प्रत्येक व्यक्ति को ही अनिष्ट शक्ति जनित कष्ट होता है । अनिष्ट शक्तियों के कारण व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक कष्ट होते हैं, साथ ही जीवन में अन्य समस्याएं भी आती हैं ।

शोध के माध्यम से संपूर्ण मानवजाति को अनमोल धरोहर उपलब्ध करानेवाले ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ को चित्रीकरण हेतु उपयुक्त सामग्री की आवश्यकता !

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ वैज्ञानिक परिभाषा में आध्यात्मिक शोध करने हेतु अद्वितीय कार्य करनेवाली संस्था है । इस विश्वविद्यालय के कुछ साधक संतों के मार्गदर्शन में विविध स्थानों पर यात्रा कर भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर संग्रहित कर रहे हैं ।

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अभिषेक करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ होना

महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की तिथि पर आता है । महाशिवरात्रि पर शिवतत्त्व सदैव की तुलना में १ सहस्र गुना कार्यरत होता है । महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना, अभिषेक, पूजा एवं जागरण करने की परंपरा है ।

‘निर्विचार’ नामजप का साधकों और संतों पर होनेवाला परिणाम

 ‘निर्विचार’ नामजप के संदर्भ में की गई शोधपूर्ण जांच से ध्यान में आता है कि ‘निर्विचार’ जप आध्यात्मिक पीडा रहित एवं आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक है, ऐसे साधकों के लिए उपयोगी है ।