सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
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‘पैसे कमाते एवं उसका उपयोग करते समय भी साधना होना आवश्यक होता है। कर्तव्य स्वरूप सत्मार्ग से पैसे कमाते समय उसके प्रति लोभ न रखें । ‘मेरे प्रारब्धानुसार वह मिलेगा, इसका भान रखना आवश्यक होता है। कमाए हुए पैसों उपयोग करते समय भी सुख की आसक्ति न रख प्राप्त सुख में संतुष्ट रहना उचित होता है।आर्थिक व्यवहार करते समय उसमें मन को अल्प उलझाना खरी साधना है !’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक