सनातन प्रभात > Post Type > सुविचार > स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन का महत्त्व ! स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन का महत्त्व ! 03 Feb 2024 | 03:57 AM Share this on :TwitterFacebookWhatsapp सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ईश्वर में स्वभावदोष एवं अहं नहीं होते । उनसे एकरूप होना है, तो हममें भी उनका अभाव होना आवश्यक है । ✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक Share this on :TwitterFacebookWhatsapp नूतन लेख हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सदैव अग्रणी तमिलनाडू के ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’के (हिन्दू जनता दल के) अध्यक्ष अर्जुन संपथ !सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव रामराज्य की ओर एक पग है! – श्री चैतन्य तागडे, सनातन संस्थासच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचारSanatan Rashtra Shankhnad Mahotsav : गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के करकमलों से ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ की वेबसाइट का उद्घाटन !सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के वास्तु के संदर्भ में विचारसाधको, आध्यात्मिक कष्टों की तीव्रता बढ गई है । अतः आध्यात्मिक उपचार नियमित करने के साथ ही व्यष्टि साधना भी बढाएं !