सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘नामजप, सत्सेवा जैसे आध्यात्मिक कृत्य करने पर उनसे आध्यात्मिक स्तर पर उपचार होना, तन मन धन का त्याग होना, जैसे लाभ होते हैं । इससे मानवजन्म का मूल उद्देश्य ‘ईश्वरप्राप्ति करना’ साध्य करने में सहायता होती है । आजकल की शिक्षा में इन जैसी किसी भी कृति की शिक्षा नहीं दी जाती । जो कुछ पढ़ाया जाता है, उससे आध्यात्मिक उन्नति हो ही नहीं सकती । संक्षेप में विद्यालयीन शिक्षा में ईश्वरप्राप्ति की दृष्टि से अनावश्यक कृतियां सिखाई जाती हैं ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक