पश्चिमी संस्कृति को अपनाकर विनाश की खाई में बढ रहा समाज !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

पूर्व काल की पीढ़ियों में वैचारिक अंतर (जनरेशन गैप) नहीं था । प्रत्येक पीढ़ी पहले की पीढ़ी से समरस हो जाती थी । दादाजी, परदादाजी से लेकर परपोते, उनके बच्चे भी साथ रहते थे । हिन्दुओं ने पश्चिमी संस्कृति अपनाई, इस कारण दो पीढ़ियों में अर्थात माता-पिता और बेटा बहू में भी आपस में समरसता नहीं है । अब पति-पत्नी की भी आपस में नहीं बनती । विवाह के उपरांत कुछ समय में ही विवाह-विच्छेद हो जाता है ।’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक