नेताओं और संतों के कार्य में भेद !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘नेताओं को स्थूल कार्य करने के कारण अनुभव किया जाता है, उदा. बाढ़ पीड़ितों की सहायता करना, साधन-सुविधा उपलब्ध कराना ; जबकि संत सूक्ष्म स्तरीय उपाय करने के कारण अनुभव होते हैं, उदा. अनेक लोगों की पारिवारिक समस्याओं सहित शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक समस्याएं दूर होती हैं ।’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक