सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘भारतीय संस्कृति में वृद्ध आश्रम कभी नहीं थे। यह पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण है । यह माता-पिता के प्रति कृतज्ञता के स्थान पर द्वेष दर्शाता है । आगे कुछ मृत माता-पिता पूर्वज बनकर परिजनों को कष्ट दें, तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा !’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक