सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘जनता को साधना सिखाकर उसे सात्त्विक बनाना, शासनकर्ताओं का कर्तव्य है । इसका पालन करने के स्थान पर नेताओं ने जनता को सर्वधर्म समभाव सिखाया । इस कारण सामान्य व्यक्ति अपना धर्म भूल गया और धर्म द्वारा सिखाए नैतिक मूल्य भी भूल गया । इसके परिणाम स्वरूप जनता को अनेक सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारी हैं, यह अनुभव होता है ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक