ध्यान में आया है कि उत्तराखंड राज्य के ३० मदरसों में ७४९ की संख्या में हिन्दू विद्यार्थी पढ रहे हैं । ‘उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद’ के संचालक राजेंद्र सिंह द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन से यह स्पष्ट हुआ । ‘राष्ट्रीय बाल कल्याण आयोग’ के अंतर्गत मदरसा शिक्षा परिषद को सूचना जारी होने के पश्चात उन्होंने यह रिपोर्ट सौंपी है । गत वर्ष महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में यह देखा गया कि जिन विद्यार्थियों के नाम जिला परिषद के विद्यालयों में प्रविष्ट थे, वे मदरसा भी जा रहे थे । इसमें कोई शंका नहीं कि ऐसी घटनाएं देश में अन्यत्र भी सहजता से होती होंगी ।
देश में आज भी अनधिकृत मदरसाेंं की संख्या बहुत बडी है । उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में अनधिकृत मदरसे बंद करने की प्रक्रिया चल रही है । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने यह भी बताया कि उपरोक्त घटना सामने आने पर उत्तराखंड के ५ अनधिकृत मदरसों को बंद कर दिया गया था । इसमें कोई शंका नहीं कि देश के प्रत्येक राज्य में सर्वत्र बडी संख्या में अनधिकृत मदरसे होंगे । ‘अधिकांश मदरसों में क्या होता है?’ बार बार यह सामने आने से उसे सभी जानते हैं । विद्यार्थियों को हिन्दू विरोधी शिक्षा देना, उनके मन में हिन्दूद्वेष के बीज बोना, उन्हें विविध जिहादी कृत्यों के लिए प्रवृत्त करना, मदरसा के लोगाों द्वारा हिन्दू लडकियों पर अत्याचार करना, अल्प आयु के बच्चों का यौन शोषण करना, अश्लील वीडियो दिखाना जैसे अनेक प्रकार के अवैध कृत्य सतत सामने आते रहते हैं । इस पृष्ठभूमि पर यदि कोई सोचे कि हिन्दू बच्चों को मदरसों में प्रवेश दिया जा रहा है, यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नियोजनबद्ध घटना हो सकती है’, तो उसमें अनुचित क्या है ? कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर आक्रमण करने की विविध चालों के मध्य यह चाल अभी कुछ मात्रा में सफल होती दिखाई दे रही है । हिन्दुओं की लाचारी, साथ ही उनकी निर्धनता अथवा उनके माता-पिता की अनभिज्ञता ने हिन्दू बच्चों को मदरसों में प्रवेश की अनुमति दी होगी । किंतु अंततः हिन्दुओं में धर्माभिमान का अभाव, तथा राष्ट्र में क्या हो रहा है, राष्ट्र एवं धर्म की स्थिति कैसी है ? इस विषय में अज्ञानता अथवा असंवेदनशीलता आदि के कारण हिन्दू बच्चे मदरसों में जाते हैं । इसलिए कल ये ही हिन्दू बच्चे स्वधर्मियाें के विरुद्ध गतिविधियां करने लगें, आतंकवादियों से मिल जाएं, अथवा दंगों में अगुवाई कर पत्थर फेंकने लगें, साथ ही हिन्दू लडकियों के साथ छल करने में मुस्लिम मित्राें की सहायता करें, तो हिन्दुओं को आश्चर्य नहीं होना चाहिए । अब ये बाते ध्यान में आने पर संबंधित राज्यों की सरकारें विशेष जागृत होकर कुछ मात्रा में कार्यवाही कर रही हैं; किंतु बाते बहुत आगे बढ जाने से उन्हें जड से उखाडना हो, तो प्रणालियोें (सिस्टम)को कडे परिश्रम करने पडेंगे ।
क्या मदरसों की आवश्यकता है ?
उपर्युक्त घटना के पश्चात उत्तराखंड राज्य मदरसा शिक्षा परिषद के नए अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा, ‘उत्तराखंड देवभूमि है ।’ आनेवाले दिनों में मदरसों में विद्यार्थी कुरान के साथ योग एवं वेद भी सीखेंगे । पहला ज्ञान वेद से आया तथा अंतिम ज्ञान कुरान से । सब का ‘डी.एन.ए.’ एक ही है । यहां का प्रत्येक मदरसा यहां के शिक्षा विभाग से जोडा जाएगा । हम शीघ्र ही गाय, गंगा एवं हिमालय की रक्षा का एक अभियान आरंभ करनेवाले हैं । हम गाय को ‘राष्ट्रीय पशु’ घोषित कराना चाहते हैं । यदि वे यह प्रामाणिकता से बोल रहे हैं, तो उन्हें यथाशीघ्र अपनी कृति द्वारा यह दिखना चाहिए, इतना ही नहीं, अपितु उन्हें ये सब बातें सार्वजनिक कर सभी मदरसों में लागू करने के प्रयास करने चाहिए । वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में अभी ४१५ मदरसे अनधिकृत हैं, जबकि ११७ मदरसे ‘वक्फ बोर्ड’ के अधीन हैं । क्या इन सभी स्थानों पर उनकी बताई उपरोक्त सभी बातें लागू करना संभव होगा? और वेदों की शिक्षा कोई सरल बात नहीं है । अनेक नियमाेंं का पालन करने के पश्चात ही वह शिक्षा प्राप्त करना संभव है । कासमी के उपरोक्त वक्तव्य का यदि साधारण अर्थ यह भी निकाला जाए, कि यदि ‘मुस्लिम बच्चों को भी हिन्दू संस्कृति में शिक्षा देनी है’, तो मुसलमानों को ‘मदरसे के नाम पर अलग से संस्थाएं स्थापित करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है ।’ यदि वे मुस्लिम बच्चों को सामान्य पाठशालाओं में डालते हैं, तो सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे ! किंतु इस विषय में वे कुछ भी वक्तव्य देते नहीं दिख रहे हैं । असम में मुख्यमंत्री बिस्वा ने ८०० अनधिकृत मदरसे बंद कर दिए । प्रत्येक राज्य में समान शक्ति से ऐसी सीधी तथा बडी कार्रवाई करना समय की मांग है । अत: उनमें जो अयोग्य बातें हैं, वे अपनेआप ही बंद हो जाएंगी तथा इस प्रकार हिन्दू बच्चों के प्रवेश भी बंद हो जाएंगे । मुसलमानाें को केवल ‘मुख्य प्रवाह में न होने’ के ढोल पीटने होते हैं; किंतु जब भी मुख्य प्रवाह में सहभागी होने का समय आता है, तब वे स्वयं को उससे मीलों दूर कर लेते हैं तथा अपनी धार्मिक विशिष्टता सायास बनाए रखते हैं । यहां भी कासमी मदरसों में हिन्दुओं को धार्मिक शिक्षा देने की बात करते हैं; यदि ऐसा है, तो अच्छा ही है; किंतु ध्यान देनेवाली बात यह है कि हमारे बच्चे सामान्य हिन्दू बच्चों जैसे सामान्य विद्यालयों में पढेंगे बिना मदरसों के अलग अस्ितत्व के, वे ऐसा नहीं कहते, यह ध्यान में लेना चाहिए । उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष इफ्ितखार अहमद जावेद ने पिछले सप्ताह अपने राज्य के मदरसों के शिक्षा विभाग के निरीक्षण का कडा विरोध किया था । यदि यह सामने आया कि सैकडों हिन्दू छात्र मदरसों में जा रहे थे, ऐसे में राष्ट्रपति कासमी ने उपरोक्त कठोर भूमिका अपनाई है, तो क्या वे पिछले ही सप्ताह उत्तर प्रदेश में जावेद द्वारा दिए गए उपरोक्त बयान का विरोध करेंगे? इसलिए ‘मदरसाें में पारदर्शिता रखनी है’, ऐसे में इन मुसलमानाें की भूमिका पर किसी के लिए भी विश्वास करना कठिन है । तो भी यह हिन्दू बच्चों को मदरसे में प्रवेश देने का वर्तमान का नया जिहाद प्रत्येक राज्य के प्रत्येक मदरसे पर नियंत्रण एवं छानबीन कर उनकी पोल खोलने का विकल्प नहीं है !
क्या देश के प्रत्येक मदरसे में हिन्दू बच्चों को प्रवेश दिया गया है ? यह शीघ्रातिशीघ्र ढूंढकर उन्हें योग्य विद्यालय में भेजना चाहिए ! |