विश्व स्तर पर महासागरों के ५६% पानी का रंग हुआ हरा !

मौसम बदलने का परिणाम प्रकृति के लिए घातक !

लंदन (इंग्लैंड) – विश्व के सभी सात महासागरों के पानी का रंग बदलकर कुल ५६% पानी का रंग हरा हो गया है । पानी का यह भूभाग पृथ्वी पर कुल भूमि की अपेक्षा अधिक है । अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध ‘मॅसेच्युसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ और अन्य संस्था के शोधकर्ताओं ने यह निरीक्षण प्रविष्ट किया है । इसमें प्रमुख रूप से पृथ्वी की भूमध्य रेखा के समीप के क्षेत्रों के महासागरों का रंग हरा होता जा रहा है ।

यह बदलाव पिछले २० वर्षों में होने की बात एक अध्ययन द्वारा ज्ञात हुई है । इसके पीछे का कारण विश्व स्तर पर हो रहे मौसम का बदलाव, ऐसा वैज्ञानिकों का कहना है । ‘नेचर’ इस वैश्विक वैज्ञानिक जर्नल में यह शोध प्रकाशित हुआ है । महासागरों का बदलता रंग मानवीय आंखों से नहीं देखा जा सकता, ऐसा भी शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया है ।

महासागरों के ऊपरी स्तर के पानी में तैयार हुए ‘फायटोप्लंक्टन’ इस जीवाणु में पाया जाने वाले ‘क्लोरोफिल’ इस तरलरंग के कारण पानी का रंग हरा होता जा रहा है, ऐसा वैज्ञानिक बताते हैं । यूनाइटेड किंगडम के साऊथैम्पटन मे स्थित ‘नेशनल ओशनोग्राफी सेंटर’ के मुख्य लेखक बी.बी. कैल और उनके समूह द्वारा वर्ष २००२ से २०२२ के दौरान पृथ्वी के सभी सात महासागरों का परीक्षण करने पर उन्हें भी यही दिखाई दिया ।

संपादकीय भूमिका 

अत्याधुनिक तकनीक का अतिक्रमण करने के कारण प्रकृति की पूर्ण न होने वाली भरपाई, ऐसी हानि हो रही है । इस माध्यम से विज्ञान पर आधारित मानव समूह स्वयं का विनाश ही कर रहा है, यह समझ लें !