कहां केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान और कहां ज्योतिषशास्त्र !
‘कहां भविष्य में क्या होनेवाला है, इसके विषय में किसी एक व्यक्ति के संदर्भ में भी सभी जांच करने के उपरांत भी न बता पानेवाला तथा प्रकृति के संदर्भ में केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान; और कहां केवल प्रकृति का ही नहीं, अपितु प्रत्येक व्यक्ति का भविष्य जन्मकुंडली तथा नाडी पट्टिकाओं एवं संहिताओं के आधार पर बतानेवाला ज्योतिषशास्त्र !’
बुद्धिप्रमाणवादी, सर्वधर्मसमभावी, साम्यवादी आदि के कारण ही देश और धर्म की स्थिति दयनीय है !
‘बुद्धिप्रमाणवादियों के कारण हिन्दुओं की ईश्वर के प्रति श्रद्धा नष्ट हो गई । सर्वधर्म समभाववादियों के कारण हिन्दुओं को हिन्दू धर्म की अद्वितीयता समझ में नहीं आई तथा साम्यवादियों के कारण हिन्दुओं का ईश्वर से विश्वास उठ गया । इन सबके कारण ईश्वर की कृपा न होने से हिन्दुओं की तथा भारत की स्थिति दयनीय हो गई है । इसका एक ही उपाय है और वह है, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना !’
साम्यवाद शब्द भविष्य में पृथ्वी से समाप्त होने के विभिन्न कारण
‘साम्यवाद’ शब्द के अनुरूप कहीं भी ‘समानता क्यों नहीं होती ?’, इसके विषय में भी साम्यवादियों में जिज्ञासा नहीं होती; क्योंकि मूलभूत कारण, उदा. प्रारब्ध, अनिष्ट शक्तियों की पीडा, साधना इत्यादि उन्हें समझ में नहीं आता । अतः इन कारणों को दूर करने में वे कैसे सहायता कर सकते हैं ? इसीलिए शीघ्र ही ‘साम्यवाद’ शब्द ही पृथ्वी से समाप्त हो जाएगा ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक-संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक