‘आज यांत्रिक युग के कारण गाय का महत्त्व तथा संवर्धन अल्प हो गया है । दुष्ट लोग गोहत्या कर, उसकी संख्या घटाते ही जा रहे हैं । भूमि को गोबर से बनी खाद न मिलने से तथा नए रासायनिक खाद के उपयोग से भूमि बंजर हो रही है । स्वतंत्रताप्राप्ति से लेकर आज तक भौतिकवाद के कारण, दैवी विचार शून्य होने के कारण ऋषियों के विचार जिस भूमि से उत्पन्न हुए, वहीं आज वे नष्ट होने के पथ पर होने से निर्धनता, अकाल, अनाचार, भ्रष्टाचार, अनीति, कृत्रिमता, दिखावा तथा भौतिक सुख में वृद्धि होने की लालसा जैसे दुर्गुणों की वृद्धि हुई है । अतः जीवन से आनंद दूर हो गया है । क्या इसे हम प्रगति कहेंगे ?’ – (परात्पर गुरु) परशराम माधव पांडे (श्री गणेश अध्यात्म दर्शन, पृष्ठ ७५)
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गोहत्या के कारण ही दरिद्रता, अकाल तथा अनाचार में वृद्धि !
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