२५ वर्ष तक के युवकों में सामाजिक माध्यमों में रुचि हुई अल्प ! फेसबुक को भारी क्षति !

न्यूयॉर्क – ‘जनरेशन जेड’ अर्थात वर्ष १९९७ से २०१२ की अवधि में जन्में लोग अब सामाजिक माध्यमों पर विशेषरूप से फेसबुक पर सक्रिय नहीं । आभासी जग की मित्रता पर से उनका विश्वास उठता जा रहा है, ऐसा ‘प्यू रिसर्च सेंटर’के एक सर्वेक्षण से सामने आया है । दूसरी ओर ‘मिलेनियल्स’ अर्थात वर्ष १९८१ से १९९६ का अवधि में जन्म लेनेवाले २६ से ४१ वर्ष की आयु के लोग अब भी नियमितरूप से फेसबुक का उपयोग कर रहे हैं, ऐसा अमेरिका द्वारा किए इस सर्वेक्षण से ध्यान में आया है । ‘प्यू रिसर्च सेंटर’द्वारा इंग्लैंड में किए अन्य एक सर्वेक्षण में यह ध्यान में आया है कि किशोरों में वीडियो के प्रति रुचि बढी है ।

१. अमेरिका में किए सर्वेक्षण के अनुसार यहां १३ से १७ वर्ष तक की आयु के केवल ३२ प्रतिशत किशोर नियमितरूप से फेसबुक का उपयोग करते हैं । वर्ष २०१४-१५ में यही मात्रा ७१ प्रतिशत थी । उस समय ‘इन्स्टाग्राम’ एवं ‘स्नैपचैट’ जैसे सामाजिक माध्यमों का उपयोग अधिक होता था ।

२. अमेरिका के किशोर आयु के बच्चों की संख्या में यह घटौती एकाएक नहीं हुई । गत ५ वर्षाें में किशोरों की नियमितरूप से फेसबुक का उपयोग प्रत्येक वर्ष घटता चला गया ।

३. सर्वेक्षण से उजागर हुआ है कि गत कुछ वर्षाें में सामाजिक माध्यमों पर से जानकारी चोरी होने से लोगों की गोपनीयता संकट में आने की संभावना बढने से ‘जनरेशन जेड’में उसके प्रति रुचि घट गई है ।

४. सामाजिक माध्यमों से वे शीघ्र ऊब जाते हैं । इसलिए सामाजिक माध्यम युवकों को आकर्षित करने के लिए उनके जालस्थलों में नए परिवर्तन कर रहे हैं ।

भ्रमणभाष का उपयोग करनेवाले ३० प्रतिशत भारतीय मानसिक रोग से ग्रस्त !

युवा पीढी को धर्मशिक्षा एवं साधना न सिखाने का यह फलित !

‘नैशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ मेंटल इन्वेस्टिगेशन एंड न्यूरोसायन्स’के ब्योरे के अनुसार भारत के ७३ प्रतिशत बच्चे भ्रमणभाष का उपयोग करते हैं । इनमें से ३० प्रतिशत बच्चे मानसिक रोगों से ग्रस्त हैं । प्रत्येक १० में से ३ बच्चे निराशा, डर, चिंता एवं चिडचिडेपन से ग्रस्त हैं । इंग्लैंड में ‘नेचर कम्युनिकेशन्स’द्वारा किए गए अध्ययन में ऐसा दिखाई दिया है कि सामाजिक माध्यमों का उपयोग किशोर आयु के बच्चों के मस्तिष्क, ‘हार्मोन्स’ एवं बर्ताव पर परिणाम करता है ।