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बर्लिन (जर्मनी) – जर्मनी स्थित एक कानूनी प्राधिकरण ने पूर्व पोप बेनेडिक्ट पर यौन शोषण के ४ प्रकरणों में संबंधित दोषी पादरियों पर उचित कार्यवाही न करने का आरोप लगाया है । ये प्रकरण वर्ष १९७० से १९८० की अवधि के हैं । उस समय बेनेडिक्ट म्युनिच शहर के आर्चबिशप (शहर के मुख्य पादरी) थे । इस प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित किए गए इन प्रकरणों के ब्योरे में बेनेडिक्ट का स्पष्टीकरण (जवाब) भी दिया गया है । उसमें उन्होंने स्वयं पर लगे हुए आरोपों का अस्वीकार कर ‘उसमें मेरी कोई चूक नहीं थी’, ऐसा कहा है ।
Breaking News: Pope Benedict XVI was faulted in a report over his handling of sexual abuse cases when he was an archbishop in Munich.https://t.co/ANmOvnAEPp
— The New York Times (@nytimes) January 20, 2022
वर्ष १९७७ से १९८२ की अवधि में म्युनिच के आर्चबिशप होने के समय बेनेडिक्ट ने पीटर हुलर्मन नाम के एक पादरी का एसेन शहर से म्युनिच में स्थानांतरण किया था । ऐसेन में इस पादरी पर ११ वर्ष की एक लडकी के साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगा था । पीटर पर आरोप होते हुए भी उसे दूसरे चर्च का दायित्व दिया गया था । वर्ष १९८६ में पीटर को छोटे बच्चों का यौन शोषण करने के प्रकरण में दोषी प्रमाणित कर कारावास का दंड भी दिया गया था । दोषी प्रमाणित होने के अगले कुछ वर्षाेंतक बेनेडिक्ट के कारण बच्चों के साथ काम कर रहा था और चर्च ने उसकी अनदेखी की थी, ऐसा बताया जा रहा है ।
वर्ष १९४६ से २०१६ की अवधि में पादरियों द्वारा ३ सहस्र ६७७ बच्चों का यौन शोषण !
वर्ष २०१८ में जर्मनी में संपन्न बिशपों के सम्मेलन में बताए गए एक अध्ययन के निष्कर्ष में ‘जर्मनी के १ सहस्र ६७० पादरियों द्वारा वर्ष १९४६ से २०१४ की अवधि में ३ सहस्र ६७७ अल्पायु बच्चों पर यौन अत्याचार किए गए । पीडितों की संख्या इससे अधिक भी हो सकती है, ऐसा बताया गया था । म्युनिच के वर्तमान आर्चबिशप कार्डिनल रेनहार्ड मार्क्स ने पिछले वर्ष पोप फ्रान्सिस के बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं के संबंध में कार्यवाही करने में असफल सिद्ध होने की बात कहकर पदत्याग करने की मांग की थी, जिसे पोप ने ठुकरा दी थी ।