वक्फ बोर्ड को मिले अधिकारों समान मठ, मंदिर और आश्रमों को अधिकार नहीं !

‘वक्फ कानून १९९५’ के विरोध में उच्चतम न्यायालय में याचिका

भाजपा सरकार के रहते इस प्रकार का भेदभाव करने वाला कानून होना हिन्दुओं को अपेक्षित नहीं । हिन्दुओं को न्यायालय में जाकर ऐसी मांग न करनी पडे, तो केंद्र सरकार को ही यह कानून रहित करना चाहिए ! – संपादक

नई दिल्ली – ‘वक्फ कानून १९९५’ इस कानून के विरोध में उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की गई है । ‘संसद को वक्फ और वक्फ की संपत्ति के लिए ‘वक्फ कानून १९९५’ बनाने का अधिकार नहीं, ऐसा न्यायालय को निर्णय देना चाहिए’, ऐसी इस याचिका में मांग की गई है; कारण संसद न्यास (ट्रस्ट), न्यास की संपत्ति और धार्मिक संस्था के लिए कोई भी कानून बना नहीं सकती ।

१. यह याचिका पू. अधिवक्ता हरिशंकर जैन, जितेंद्र सिंह आदि ६ लोगोें ने प्रविष्ट की है । ‘वक्फ कानून द्वारा वक्फ की संपत्ति को विशेष दर्जा दिया गया है; लेकिन हिन्दुओं के न्यास, मठ और अखाडों की संपत्ति को ऐसा विशेष दर्जा नहीं दिया गया’, ऐसा भी इस याचिका में कहा है । इसके लिए आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय में एक पुराने निर्णय का आधार (हवाला) दिया गया है । इसमें कहा है कि, भारतीय रेलवे और रक्षा मंत्रालय से अधिक भूमि वक्फ बोर्ड के पास है । वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास ८ लाख एकड भूमि है । अभी तक देश में ६ लाख ५९ सहस्र ८७७ संपत्ति वक्फ के नाम पर होने का घोषित किया गया है ।

२. याचिका में आरोप किया गया है कि, पिछले १० वर्षों में वक्फ बोर्ड की ओर से दूसरों की संपत्ति पर अतिक्रमण कर उसे स्वयं की भूमि घोषित किया गया है । वक्फ बोर्ड को अवैध नियंत्रण हटाने का अधिकार है । साथ ही उसके लिए समय सीमा का बंधन नहीं; लेकिन हिन्दुओं के न्यास, मठ मंदिर, अखाडा आदि धार्मिक संस्थाओं की संपत्ति के व्यवस्थापक, सेवादार, महंत आदि को इसके समान अधिकार नहीं दिए गए हैं ।