अधिवक्ताएं ७५वें वर्ष में भी अभियोग लड सकते हैं, तो न्यायाधीशों के लिए ६५वें वर्ष में सेवानिवृत्ति क्यों ? – एटर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल

अ‍ॅटर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल

नई देहली – भारत के एटर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने यह वक्तव्य देते हुए कहा है कि हमारे न्यायाधीशों की ओर देखकर मैं यह निश्चितरूप से बता सकता हूं कि वे सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कर्तव्यों का न्यायिक पद्धति से, निष्पक्षता से और सक्षमता से निर्वहन करेंगे । ७० से ७५ वर्ष आयु के अधिवक्ताओं को युक्तिवाद करने में कोई समस्या नहीं आती, तो सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश ७०वें वर्ष में और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ६५वें वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं । ऐसा क्यों है ? कोई न्यायाधीश उनके संपूर्ण अनुभव और कुशलता का उपयोग कर न्यायिक व्यवस्था में अच्छा योगदान देने में सक्षम होते हैं । उच्च न्यायव्यवस्था और भारत सरकार को एकत्रित होकर अब इस दिशा में अच्छी योजना लाने का समय आ गया है । न्यायाधीश सुभाष रेड्डी की सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन विदाई समारोह को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।