भारत में एक प्रतिशत लोगों के पास देश की २२ प्रतिशत संपत्ति ! – वैश्विक असमानता रिपोर्ट

भारत का सर्वाधिक असमानतावाले देशों की सूची में समावेश

  • ऐसा होगा, तो इसके लिए ‘स्वतंत्रता के ७४ वर्षों बाद भारत ने की प्रगति’, ऐसा कहेंगे क्या ?
  • विदेशी संस्था की ओर से प्रकाशित की गई इस प्रकार की रिपोर्ट पर कितना विश्वास रखना चाहिए ?, इसका भी विचार करने की आवश्यकता है !

नई देहली – ‘भारत गरीब और असमानतावाला देश है’, ऐसा ‘वैश्विक असमानता रिपोर्ट २०२२’ में कहा गया है। यह रिपोर्ट वर्ष २०२१ की जानकारी पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष २०२० में वैश्विक आय में भी बहुत गिरावट आई है। यह रिपोर्ट ‘वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब’ के सह-संचालक लुकास चैन्सेल ने तैयार की है। फ्रेंच अर्थशास्त्री थॉमस पिकेट्टी सहित अनेक विशेषज्ञों ने यह रिपोर्ट तैयार करने में सहायता की है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि,

१. भारत एक ऐसा देश है, जहां १० प्रतिशत जनसंख्या का राष्ट्रीय आय में ५७ प्रतिशत हिस्सा है, तो जनसंख्या के निचले स्तर के (५० प्रतिशत) घटकों का केवल १३ प्रतिशत हिस्सा है।

२. भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय २ लाख ४ सहस्र २०० रुपए है, तो निचले स्तर की (५० प्रतिशत) आय ५३ सहस्र ६१० रुपए है और जनसंख्या के १० प्रतिशत लोगों की आय लगभग २० गुना, अर्थात ११ लाख ६६ सहस्र ५२० रुपयों से अधिक है।

३. इस १० प्रतिशत जनसंख्या के पास कुल राष्ट्रीय आय का ५७ प्रतिशत हिस्सा है, तो एक प्रतिशत जनसंख्या के पास यह २२ प्रतिशत है। उसी समय निम्न स्तर की ५० प्रतिशत जनसंख्या का हिस्सा केवल १३ प्रतिशत है।

४. भारत में औसत घरेलू संपत्ति ९ लाख ८३ सहस्र १० रुपए है। भारत गरीब और कुलीन लोगों से भरा एक बहुत ही असमान देश है।

५. भारत में लैंगिक असमानता अत्यधिक है। महिला कर्मियों की आय का हिस्सा १८ प्रतिशत है। एशिया के अनेक देशों की तुलना में यह प्रमाण बहुत ही कम है।