प्रत्येक सूत्र के लिए यदि न्यायालय जाकर सरकार को आदेश देना पडता हो, तो यह सरकारी तंत्र का सफेद हाथी चाहिए ही क्यों ?– संपादक
नई देहली – ‘मौसम बिगडने पर उपाय किए जाते हैं । ये उपाय प्रदूषण होने से पहले करने चाहिएं और वो सांख्यिकीय रचना पर आधारित होने चाहिएं; परंतु राजधानी के प्रदूषण का स्तर विश्व के सामने देश की नकारात्मक प्रतिमा रख रहा है । देश की राजधानी का यह हाल है । आप कल्पना कीजिए कि हम विश्व को इससे क्या संदेश दे रहे हैं ?’ इन शब्दों में सर्वाेच्च न्यायालय ने फटकार लगाई ।
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— Bar & Bench (@barandbench) November 24, 2021
सुनवाई के समय केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया, ‘देहली की हवा का गुणवत्ता सूचकांक २४ नवंबर के सवेरे २९० (५० तक का सूचकांक अच्छा होता है) था । पिछले सप्ताह की तुलना में यह अच्छा है । पहले वह ४०३ था ।’ उस पर मुख्य न्यायाधीश ने अप्रसन्नता व्यक्त की । न्यायालय ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण घटा, उसका श्रेय हवा को जाता है । यह तो ईश्वरीय कार्य है; परंतु सायंकालतक हवा का खेलना बंद हो जाएगा, तो राजधानी प्रदूषण की करूणा पर निर्भर रहेगी । हवा के कारण हम बच गए । मौसम विभाग के अनुसार सायंकालतक स्थिति गंभीर बन सकती है । अब हवा की गति २-३ कि.मी. है । सायंकालतक वह शून्य पर आएगी । आप २९० बता रहे हैं; परंतु अभी हमने चलितभाष पर हवा का गुणवत्ता सूचकांक देखा, वह ३१८ दिखाई दिया । यह आंकडा पुनः गंभीर बन सकता है । हमारे निर्देश के अनुसार उपाय किया जाए । हम इसका निरीक्षण करते ही रहेंगे । २०९ नवंबर को हम पुनः सुनवाई करेंगे । स्तर २०० अथवा कुछ उसके नीचे आ गया, तो आप प्रतिबंध हटा सकते हैं ।’