नई दिल्ली – ‘पेगसस’ नाम की संगणकीय प्रणाली का प्रयोग कर महान व्यक्तियों के फोन ध्वनिमुद्रित कर जासूसी होने के प्रकरण की जांच करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने एक ३ सदस्यीय समिति की स्थापना की है । उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीष आर.वी. रवींद्रन यह इस समिति के प्रमुख होंगे । आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय ये सदस्य होंगे ।
SC orders an independent probe in Pegasus spyware row.
Will Pegasus truth now come out?
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— News18 (@CNNnews18) October 27, 2021
सुनवाई के समय मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमणा ने कहा कि,
१. हमें कानून का राज्य सुनिश्चित करना है । हमने हमेशा मूलभूत अधिकारों की रक्षा की है । प्रत्येक को अपने व्यक्तिगत बातों की गोपनीयता की रक्षा करनी है । गोपनीयता के अधिकार को कुछ मर्यादा हैं; लेकिन कानूनी मार्ग से ऐसे प्रकरणों में कार्यवाही हो सकती है ।
२. हम जानकारी तंत्रज्ञान के युग में जी रहे हैं । उसका उपयोग जनहित के लिए होना चाहिए । वृत्तपत्र की स्वतंत्रता यह लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है । तंत्रज्ञान से उसका गंभीर स्तर पर दुरुपयोग किया जा सकता है ।
३. हमें सत्य जानकर लेना है । हमने सरकार को उत्तर देने का पूरा अवसर दिया है । ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण हम उत्तर नहीं दे सकते’, ऐसा सरकार ने कहा है । ‘आप जो बता सकते हैं, उतना बताइये’, ऐसा हमने सरकार से कहा है; लेकिन सरकार ने उत्तर नहीं दिया । इस कारण न्यायालय केवल मुहं में दही जमा कर नहीं बैठ सकता ।
४. सरकार ने किसी भी प्रकार का खंडन नहीं किया है । इस कारण याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करने के अलावा हमारे पास कोई पर्याय नहीं ।