समलैंगिक महिलाएं मना रही हैं करवा चौथ !
इस प्रकार के विज्ञापन के माध्यम से हिन्दुओं के धार्मिक व्रतों का अपमान करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के लिए कोई कानून नहीं है, इसलिए सभी मनमानी कर सकते हैं । इस पर केंद्र सरकार कब ध्यान देगी, यह प्रश्न हिन्दुओं के मन में प्रबलता से उठ रहा है !- संपादक
नई दिल्ली – डाबर प्रतिष्ठान द्वारा अपने उत्पाद ‘गोल्ड ब्लीच’ ( चेहरे पर गोरापन लाने वाला प्रसाधन ) के लिए प्रसारित एक विज्ञापन में एक समलैंगिक जोड़ा अपना पहला करवा चौथ व्रत मना रहा है । इसमें एक युवती अन्य युवती के चेहरे पर ‘ब्लीच’ लगा रही है। दोनों को त्योहार के महत्व और इसके पीछे के कारणों पर चर्चा करते हुए भी दिखाया गया है । सामाजिक माध्यमों पर इस विज्ञापन की तीव्र आलोचना हो रही है ।
Dabur promotes lesbian Karwa Chauth, gets slammed by LGBT community for promoting ‘regressive’ ideas and producthttps://t.co/r43Q4HKTSL
— OpIndia.com (@OpIndia_com) October 23, 2021
‘करवा चौथ’ व्रत क्या है ?
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को ‘करवा चौथ’ के रूप में मनाया जाता है । ‘करवा’ का अर्थ है मिट्टी का घट और ‘चौथ’ का अर्थ है चतुर्थी । इस दिन नवीन करवा लाकर सजाया जाता है। तदोपरांत उसकी पूजा कर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। करवा चौथ व्रत मुख्य रूप से सुहागन महिलाओं द्वारा किया जाता है । कुछ स्थानों पर कुंवारियां भी अनुरूप पति प्राप्त हो इस अभिलाषा में यह व्रत रखती हैं । करवा चौथ मुख्य रूप से उत्तर भारत में वृहद रूप से मनाया जाता है । इस दिन महिलाएं प्रात: शीघ्र उठकर व्रत संकल्प करती हैं । दिन में निर्जला व्रत (बिना जल ग्रहण किये हुए व्रत करना ), रात्रि में चन्द्रमा का दर्शन, उसकी पूजा और अर्घ्य देना तथा उसके उपरांत ही पति के करकमलों से जल लेकर व्रत का समापन होता है । इस व्रताचरण में प्रात: महादेव शिवशंकर, श्री पार्वती देवी, गणपति और कार्तिकेय की पूजा की जाती है । चूंकि इस दिन संकष्टी चतुर्थी पड़ती है, इसलिए कहा जाता है कि इस व्रत में गणपति की पूजा का विशेष महत्व है ।