वर्ष २०५० तक ५०० करोड लोगों को भीषण पानी के अभाव का सामना करना पडेगा ! – संयुक्त राष्ट्रसंघ की चेतावनी

पृथ्वी पर स्थित केवल ०.५ प्रतिशत पानी ही उपयोग के लिए योग्य

‘तीसरा महायुद्ध पानी के कारण होगा’, ऐसा इससे पूर्व ही कहा गया है । यह चेतावनी उसी की ओर संकेत कर रही है । विज्ञान ने विगत १५० वर्षाें में पृथ्वी की ऐसी दयनीय स्थिति बना दी है, इसके प्रति विज्ञानवादियों को लज्जा होनी चाहिए ! – संपादक

प्रतिकात्मक छायाचित्र

न्यूयॉर्क (अमेरिका) – संयुक्त राष्ट्रसंघ ने यह चेतावनी दी है कि विश्वस्तर पर वर्ष २०५० तक ५०० करोड लोगों को भीषण पानी के अभाव का सामना करना पडेगा । तापमान में आए बदलावों के कारण विश्वस्तर पर बाढ और सूखे से संबंधित संकट बढ रहा है, साथ ही इसके कारण पानी के अभाव का दंश झेलने पडनेवाले लोगों की संख्या में भी वृद्धि होने की संभावना है ।

‘द स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेस २०२० ः वॉटर’ नाम के ब्योरे में निहित आंकडों के अनुसार वर्ष २०१८ में ३६० करोड लोगों को प्रतिवर्ष न्यूनतम एक महिने के लिए पानी अपर्याप्त मात्रा में उपलब्ध था । वर्ष २०५० तक यह संख्या ५०० करोड से भी अधिक होने की संभावना है । इस ब्योरे में पानी के व्यवस्थापन में सुधार लाने हेतु तुरंत कार्यवाही करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है । इसके साथ ही शाश्वत विकास और मौसम के बदलावों के साथ समन्वय रखना आवश्यक होने की बात भी कही गई है । पृथ्वी पर उपलब्ध कुल पानी में से केवल ०.५ प्रतिशत पानी ही उपयोग के लिए योग्य होने के कारण यह स्थिति बिकट होती जा रही है ।