परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

परात्पर गुरु डॉ. आठवले

कहां नोबेल पुरस्कार प्राप्त करनेवाले और कहां ऋषि-मुनि !

     ‘नोबेल पुरस्कार प्राप्त करनेवालों के नाम कुछ वर्षों में ही भुला दिए जाते हैं; परंतु धर्मग्रंथ लिखनेवाले वाल्मीकि ऋषि, महर्षि व्यास वसिष्ठ ऋषि इत्यादि के नाम युगों-युगों तक चिरंतन रहते हैं ।

अहिंसावादी भुला दिए जाएंगे !

     ‘संघर्ष कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम इतिहास में युगों-युगों के लिए अजर-अमर हो जाएगा; जबकि अहिंसावादियों का नाम ४०-५० वर्षों में पूर्णत: भुला दिया जाएगा ।’

सात्त्विक व्यक्तियों का ध्येय !

     ‘सात्त्विक व्यक्तियों के व्यष्टि जीवन का ध्येय है ईश्वरप्राप्ति और समष्टि जीवन का ध्येय है रामराज्य !’

जनता को साधना न सिखाने का परिणाम !

     ‘स्वतंत्रता से अभी तक भारत में राज्य करनेवाले किसी भी राजनीतिक दल ने जनता को साधना सिखाकर सात्त्विक नहीं बनाया । इस कारण भारत में प्रतिदिन अनेक प्रकार के सहस्रों अपराध हो रहे हैं ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले