हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता

पू. संदीप आळशीजी

     ‘तालिबान ने अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण स्थापित कर वहां की सत्ता हथिया ली । वहां मुसलमान ही मुसलमानों को मार देते हैं । केवल अफगानिस्तान ही नहीं, विश्व के अनेक स्थानों पर ऐसी स्थिति है ।

     हिन्दू धर्म में अनेक संप्रदाय, उपासना-पंथ व धार्मिक विचारधाराएं हैं; परंतु ‘अन्यों पर अपने मत का वर्चस्व जताने हेतु कोई किसी के विरुद्ध शस्त्र चलाकर निष्पाप लोगों का रक्त नहीं बहाता । इसका कारण है, हिन्दू धर्म की अनमोल सीख ! हिन्दू धर्म में बताया गया है, ‘साधनानाम् अनेकता ।’ इसका भावार्थ यह है कि ‘भले ही साधनामार्ग अनेक हों; परंतु वे सभी एक ही ईश्वर तक पहुंचते हैं ।’ इसके लिए ही हिन्दू धर्मियों में धार्मिक विषयों में भले ही मतभिन्नता हो; परंतु तब भी प्रत्येक व्यक्ति दूसरे के मत का सम्मान करता है । आदि शंकराचार्य ने वैदिक मत को कनिष्ठ माननेवालों को वादविवाद में जीता और वैदिक मत का महत्त्व पुनर्स्थापित किया; परंतु उसके लिए उन्होंने रक्तपात नहीं किया ! इससे हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता ध्यान में आता है ।’

– (पू.) श्री. संदीप आळशी (२५.८.२०२१)