मुसलमानों की प्रजनन दर २.६ तो हिन्दुओं की २.१ !
‘भारत में मुसलमानों की जनसंख्या बढी, तो भी वे कभी भी बहुसंख्यक नहीं होंगे’, ऐसा कहने वाले इस विषय में कुछ बोलेंगे क्या ? जिस देश में मुसलमान बहुसंख्यक हैं, वह देश कभी भी धर्मनिरपेक्ष नहीं रहता है, ‘इस्लामी देश’ घोषित होता है । भारत में मुसलमान बहुसंख्यक हुए, तो भारत भी धर्मनिरपेक्ष नहीं रहेगा, यह धर्मनिरपेक्षतावादी और आधुनिकतावादी कब समझेंगे ?- संपादक
वाशिंग्टन (अमेरिका) – भारतीय मुसलमानों की प्रजनन दर अन्य धर्मियों की तुलना में अधिक है । मुसलमानों में वर्ष १९९२ में प्रति महिला प्रजनन दर ४.४ थी, तो वर्ष २०१५ में इसमें कमी आकर २.६ हुई । फिर भी भारत के बडे धार्मिक समूहों में मुसलमानों की प्रजनन दर सबसे अधिक है । उसी दौरान भारत के प्रत्येक धार्मिक समुदाय की प्रजनन दर कम हुई है, ऐसा अमेरिका की ‘प्यू रिसर्च’ की रिपोर्ट में कहा गया है । २१ सितंबर के दिन यह रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है ।
Key findings about the religious composition of India https://t.co/lFbsWca9lg pic.twitter.com/PdKpSoFBfI
— Pew Research Center (@pewresearch) September 22, 2021
इस रिपोर्ट के अनुसार
१. मुसलमान और हिन्दू धर्मियों में प्रजनन दर में अंतर भी कम हुआ है । हिन्दुओं की प्रजनन दर २.१ है । वर्ष १९९२ में हिन्दुओं की प्रजनन दर ३.३ थी ।
२. जैन धर्मियों में सबसे कम, १.२ प्रजनन दर है ।
मुसलमानों की जनसंख्या में ५ गुना बढोतरी !वर्ष १९४७ में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब हिन्दुओं की जनसंख्या ८५ प्रतिशत थी । वर्ष २०११ की जनगणना में यह ७९.८ प्रतिशत अर्थात् ५ प्रतिशत कमी सामने आई । वर्ष १९५१ से २०११ तक मुसलमानों की जनसंख्या ५ गुना बढी़ है । उस समय यह जनसंख्या ३ करोड ५० लाख थी, जो वर्ष २०११ में १७ करोड २० लाख हो गई । वर्ष २००१ से २०११ ,इन १० वर्षों में मुसलमानों की जनसंख्या १३.४ प्रतिशत हुई । वर्ष २०२१ में उसमें और बढत हुई है । यह आंकडा जनगणना के बाद ही सामने आएगा । |