यह अनुमति अंतिम होगी ! – सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्टीकरण
भारत में प्रदूषण के मूल कारणों की अनदेखी करते हुए, वार्षिक हिन्दू श्रीगणोत्सव पर विभिन्न प्रतिबंध लगाए जाते हैं । हिन्दू धर्मशास्त्र एवं परंपराओं के अनुसार, त्योहार तथा उत्सव मनाने के लिए हिन्दू राष्ट्र के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है !- संपादक
भाग्यनगर (हैदराबाद) – सर्वोच्च न्यायालय ने यहां के प्रसिद्ध हुसैन सागर सरोवर में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्ति विसर्जन करने की अनुमति दे दी है । साथ ही, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि, ‘यह अनुमति केवल इसी वर्ष के लिए दी जा रही है ।’ (वर्ष २०१५ में, ‘एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन रिसर्च फाउंडेशन, सांगली, महाराष्ट्र’ द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि, प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्तियों से जल प्रदूषण नहीं होता है । इस पृष्ठभूमि पर, धर्मनिष्ठ हिन्दुओं को लगता है, कि हिंदुत्वनिष्ठ अधिवक्ताओं को न्यायालय में यह वास्तविकता प्रस्तुत करनी चाहिए । – संपादक) । आगामी वर्ष, गणेश मूर्तियों का विसर्जन सरोवर में करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, ऐसा शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश भी सर्वोच्च न्यायालय ने तेलंगाना सरकार को दिया है ।
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय न्यायपीठ ने कहा, कि यह शहर में बार-बार होने वाली समस्या है । अनेक निर्देश देने के पश्चात भी राज्य सरकार ने मूर्ति विसर्जन एवं प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया है ।
सर्वोच्च न्यायालय के तीन सदस्यों के न्यायपीठ ने आगामी वर्ष के लिए शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए कहा, ‘विसर्जन के लिए सरोवर का उपयोग करने की हमारे द्वारा दी गई यह अंतिम सहमति है ।’ तेलंगाना उच्च न्यायालय ने हुसैन सागर सरोवर सहित शहर के अन्य जलाशयों में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्तियों के विसर्जन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था । १३ सितंबर को उच्च न्यायालय ने इस आदेश में संशोधन करना अस्वीकार कर दिया था ।
Supreme Court Permits Immersion Of PoP Ganesh Idols In Hyderabad's Hussain Sagar Lake This Year As 'Last Chance' @SrishtiOjha11 https://t.co/ZQ0ol348g9
— Live Law (@LiveLawIndia) September 16, 2021
हुसैन सागर सरोवर में प्रतीकात्मक मूर्ति विसर्जन होगा ! – सरकारी महाधिवक्ता तुषार मेहता
जिस प्रकार विजयदशमी पर रावण की मूर्ति का प्रतीकात्मक दहन किया जाता है, उसी आधार पर, जिस मूर्ति में देवता के पवित्रक समाहित हुए हैं एवं जिसकी १० दिनों तक भाव-भक्ति के साथ पूजा की जाती है, ऐसी मूर्ति का प्रतीकात्मक विसर्जन करना, संपूर्णतः धर्मशास्त्र-विरोधी एवं भक्तों की आस्थाओं को रौंदना ही है ; यह ध्यान रखें !– संपादक
शासकीय महाधिवक्ता तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया, कि जलाशय का प्रदूषण न्यून करने के लिए कदम उठाए गए हैं । यह विसर्जन प्रतीकात्मक होगा । विसर्जन के पश्चात, क्रेन की सहायता से विसर्जित मूर्तियां तत्काल बाहर निकाली जाएगी । इसके उपरांत, वे निर्धारित स्थान पर ले जाई जाएगी । (मूर्तियों के साथ इस प्रकार व्यवहार करना हिन्दू देवी-देवताओं की अवमानना ही है । सरकार को बहुसंख्यकों के श्रद्धा-स्थलों का विचार करना चाहिए, ऐसा ही हिन्दुओं को लगता है । हिन्दुओं को इसका भी उत्तर मिलना चाहिए, कि क्या सरकार ने शंकराचार्य एवं संतों से देवताओं की मूर्तियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार करने के संबंध में पूछा है । – संपादक)