धर्मांतरण के विरुद्ध मृत्यु दंड के समान कठोर दंड देने वाले भी देश !

भारत में १ सहस्र से अधिक हिन्दुओं के धर्मांतरण का प्रकरण !

  • धर्मांतरण विरोधी कानून न होने के कारण, भारत में सहस्रों की संख्या में हिन्दुओं का धर्मांतरण हुआ है तथा हो रहा है । यदि धर्मांतरण विरोधी कानून नहीं बनाया गया, तो आगे भी धर्मांतरण होता रहेगा तथा एक दिन हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे । जिस प्रकार भारत का विभाजन होकर पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान तथा आगे चलकर बांग्लादेश की निर्मिति हुई, उसी प्रकार भारत के भविष्य में अनेक खंड होकर ईसाई एवं इस्लामी देश बनने का संकट मंडरा रहा है ।
  • हिन्दुओं, स्वातंत्र्य वीर सावरकर नित्य कहा करते थे, ‘धर्मांतरण ही राष्ट्रांतरण है । केवल आगे के १०-२० वर्षों का संकीर्ण विचार न करते हुए, भविष्य के ५०-१००-२००-५०० वर्षों का व्यापकता से विचार करें, तथा यदि आप भारत का और विभाजन नहीं चाहतेहैं, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करें !’

नई दिल्ली – भारतीय संविधान धर्म के प्रचार की अनुमति देता है । इसलिए, प्रत्येक धर्मी अपने धर्म का प्रचार करने के लिए स्वतंत्र है । इससे ही षड्यंत्र रचकर धर्म परिवर्तन का प्रयास किया जाता है । देश में धर्मांतरण पर कोई राष्ट्रीय कानून नहीं है । इसलिए, ईसाई मिशनरियों के साथ-साथ इस्लामी संगठन भी हावी हो जाते हैं । हाल ही में, उत्तर प्रदेश में १ सहस्र से अधिक हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने की बात उजागर हुई है । पुलिस ने इस प्रकरण में दो मौलवियों को गिरफ्तार किया है । उन्हें अब भारतीय कानून के अंतर्गत दंड दिया जाएगा । दूसरी ओर, संसार भर के अनेक देशों में धर्मांतरण के विरुद्ध कठोर कानून हैं । इसलिए, वहां ऐसी घटनाएं नहीं होती ।

धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून में कठोर प्रावधान होने वाले देश निम्नानुसार हैं –

१. नेपाल : यहां कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से धर्मांतरण कर सकता है ; परंतु, अन्य किसी का भी धर्मांतरण नहीं कर सकता । यदि कोई ऐसा करता है तो उसे कानून के अनुसार ३ वर्ष के कारावास का दंड हो सकता है ।

२. म्यांमार : वर्ष २०१५ में, म्यांमार ने धर्मांतरण से संबंधित ४ कानून बनाए थे । इनके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे सरकार से अनुमति लेनी होगी । इसमें भी, यदि कोई बौद्ध धर्मी युवती दूसरे धर्म के व्यक्ति से विवाह करना चाहती है, तो सरकार इसकी जांच करती है । इसके लिए विभिन्न स्तरों पर अनुमति लेने की भी आवश्यकता होती है ।

३. भूटान : यहां प्रलोभन देकर अथवा बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करने वालों के विरुद्ध राष्ट्रीय कानून है, जिसके अंतर्गत कठोर दंड का प्रावधान है ।

४. श्रीलंका : यहां २००४ में धर्मांतरण विरोधी राष्ट्रीय कानून बनाया गया था ; परंतु, अब सर्वोच्च न्यायालय ने इसपर रोक लगा दी है । वर्ष २००४ में, श्रीलंका में सुनामी के पश्चात, ईसाई मिशनरियों ने गरीब एवं असहाय सुनामी पीडितों की दुर्दशा का अनुचित लाभ उठाते हुए, उन्हें नौकरी, पैसा एवं आवास देने का प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने के अनेक प्रकरण सामने आए थे । (ध्यान रखें, यही ईसाई मिशनरियों का वास्तविक स्वरूप है ! – संपादक)

५. ग्रीस : यहां धर्मांतरण पर प्रतिबंध है । ‘ग्रीक ऑर्थोडॉक्स चर्च’ के अतिरिक्त यहां कोई भी, किसी भी धर्म का प्रचार नहीं कर सकता है ।

६. सोमालिया, सूडान एवं सऊदी अरब : इन इस्लामी देशों में इस्लाम के अतिरिक्त अन्य धर्मों का स्वीकार करना कानून के विरुद्ध है ।

७. मालदीव : यह एक मुसलमान बहुल द्वीप राष्ट्र है । यहां, यदि कोई भी मुसलमान नागरिक धर्मान्तरण करता है, तो उसकी नागरिकता निरस्त कर दी जाती है ।

८. मलेशिया : यहां धर्म परिवर्तन के लिए शरिया न्यायालय से अनुमति लेनी पडती है । कुछ माह पूर्व, यहां एक मुसलमान युवती के एक भारतीय ईसाई युवक के साथ प्रेम-संबंध थे । उसने इस्लाम धर्म छोडकर ईसाई धर्म अपना लिया था । यह प्रकरण न्यायालय में जाने के पश्चात, वह धर्मांतरण कानून के विरुद्ध है, ऐसा बताते हुए उन्हें बरी कर दिया गया था ।

९. अफगानिस्तान : इस्लाम के अतिरिक्त कोई अन्य धर्म स्वीकारने पर यहां प्रतिबंध है । वर्ष २००६ में, इस्लाम धर्म त्याग कर, ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लिए एक व्यक्ति को न्यायालय ने मृत्यु दंड दिया था ।

१०. जॉर्डन, मिस्र एवं कुवैत : इन इस्लामी देशों में भी इस्लाम के अतिरिक्त अन्य धर्मों में धर्मांतरण करने पर कारावास के दंड का प्रावधान है ।