जलवायू परिवर्तन से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती ! – वैज्ञानिकों का दावा

आने वाले कुछ दशकों में समुद्र की बर्फ गायब होगी !

पिछले एक शतक में विज्ञान द्वारा की गई कथित प्रगति का ही यह परिणाम है । इस कारण पृथ्वी को बचाने के लिए ऐसे प्रकृति विघातक विज्ञान से अब दूर रहने का प्रयास करना चाहिए !

बर्लिन (जर्मनी) – विश्व जलवायु परिवर्तन से होने वाली हानि अब इस स्तर पर पहुंच गई है कि उसे सुधारा नहीं जा सकता । इस कारण उसके साथ ही जीना पड़ेगा, ऐसा प्रतिपादन वैज्ञानिक प्रा. मार्कस रेक्स ने किया है । अभी तक उत्तर ध्रुव पर सबसे बडे आर्क्टिक अभियान का आयोजन प्रा. मार्कस रेक्स ने किया था । २० देशों के ३०० वैज्ञानिक इस शोध अभियान में सहभागी हुए थे । यह आयोजन ३८९ दिन चला और पिछले अक्टूबर में वे जर्मनी वापस आए ।

१. प्रा. मार्कस रेक्स ने बताया कि, आर्क्टिक में महासागर से गर्मियों में बर्फ गायब होना ,यह जलवायु परिवर्तन की बडी हानि है । आने वाले कुछ दशकों में, समुद्र के गर्म वातावरण के कारण बर्फ समुद्र से गायब हो जाएगी ।

२. वैज्ञानिकों को उत्तर ध्रुव अभियान में मिली जानकारी के अनुसार कुछ दशकों में अंटार्क्टिका में बर्फ के पहाड़ पूरी तरह पिघल जाएंगे और आर्क्टिक महासागर की बर्फ गायब हो जाएगी । इस दल ने शोध से संबंधित १५० टेराबाइट डाटा और बर्फ के एक सहस्र से अधिक नमूने भी साथ में लाए हैं ।