हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा उत्तर और पूर्वाेत्तर भारत के
मठ-मंदिरों के न्यासी, पुजारी और पुरोहितों की ‘ऑनलाइन’ बैठक संपन्न
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – ‘‘कोरोना वैश्विक महामारी के साथ ही भारत में आए चक्रवात जैसी समस्याओं के कारण आज संपूर्ण समाज आपातकाल अनुभव कर रहा है । ऐसी कठिन स्थिति का सामना करने के लिए सभी को ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढानी चाहिए । साधना करने पर ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढती है । ‘न मे भक्तः प्रणश्यति’ (मेरे भक्त का नाश नहीं होगा ।) इस वचनानुसार ईश्वर अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं । इसलिए अधिकाधिक लोगों को नामजप और साधना का महत्त्व बताने का प्रयास करना आवश्यक है । यह साध्य करने हेतु मंदिरों द्वारा संगठित प्रयास आवश्यक है ।’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के पू. नीलेश सिंगबाळजी ने किया ।
समिति द्वारा मठ-मंदिरों के न्यासी, पुजारी और पुरोहितों की ‘ऑनलाइन’ बैठक आयोजित की गई थी । इस बैठक में ओडिशा के स्वामी अखिलानंद, ओडिशा के मानस मंदिर परिषद के श्री. राजकुमार शुक्ला, वाराणसी स्थित कालभैरव मंदिर के श्री. अवशेष पाण्डेय, बिहार स्थित गरीबनाथ मंदिर के महंत विनय पाठक, असम स्थित कामाख्या मंदिर के श्री. कवींद्र प्रसाद शर्मा, महामाया मंदिर के श्री. बिमन चक्रबोर्ती, जमशेदपुर से रंजन गोराई, बंगाल के ब्राह्मण एवं वैदिक समाज के संस्थापक श्री. पाचू गोपाल बॅनर्जी आदि उपस्थित थे । साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा के पुजारी व पुरोहित उपस्थित थे ।
१. समिति के समन्वयक श्री. शंभू गवारे ने कहा, ‘‘कोरोना विषाणु से रक्षा होने हेतु स्वयं में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढने के लिए आध्यात्मिक बल मिले, इस हेतु सनातन संस्था द्वारा बताया नामजप करने पर समाज को अत्यधिक लाभ हो रहा है । आज अनेक चिकित्सालय, औषधियों की दुकानों में यह नामजप लगाया जा रहा है । इसलिए मनोबल में वृद्धि होने में सहायता मिल रही है ।’’
२. ‘‘इस आपातकालीन स्थिति में समाज सहायता हेतु मंदिरों में कोरोना काल में आध्यात्मिक बल बढानेवाला नामजप लगाना, नियमित अग्निहोत्र करना, मंदिरों में धर्मशिक्षा देनेवाली जानकारी लिखना, लोगों की श्रद्धा बढे तथा वे धर्माचरण करें इस हेतु ‘ऑनलाइन’ प्रवचन आयोजित करना इत्यादि माध्यमों से हम धर्मकार्य कर सकते हैं ।’’, ऐसा समिति समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने बताया ।
क्षणिका : मंदिरों द्वारा कोरोना से पीडितों को किस प्रकार सहायता की गई ?, इस संदर्भ में उपस्थित मंदिर प्रतिनिधियों ने जानकारी दी । मंदिरों पर होनेवाले आक्रमण रोकने के लिए प्रभावी संगठन निर्माण करने तथा संगठन में वृद्धि होने हेतु प्रयास करने का उपस्थितों ने निश्चय किया ।