वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – ‘‘सृष्टि का संचालन किसी सरकार अथवा आर्थिक महासत्ता द्वारा नहीं होता । सृष्टि का संचालन परमात्मा द्वारा होता है । इस संचालन का विज्ञान यदि हम नहीं समझेंगे, तो वैश्विक संकट को और उसके समाधान को कैसे समझ पाएंगे ? हम भाग्यवान हैं कि हमारे धर्मग्रंथों में सृष्टि तथा उसके संचालन के विषय में स्थूल अध्ययन के साथ-साथ सूक्ष्म की भी स्पष्ट जानकारी दी गई है ।’’ ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पू. नीलेश सिंगबाळजी ने आज की आपातकालीन स्थिति में मन सकारात्मक रखने हेतु आयोजित किए ‘ऑनलाइन श्रद्धा संवाद’ में मार्गदर्शन करते समय किया ।
पू. नीलेश सिंगबाळजी ने अपने मार्गदर्शन में आगे कहा कि ‘‘आज चक्रवात जैसी प्राकृति आपदाएं, तृतीय विश्वयुद्ध की ओर अग्रसर विश्व, कोरोना जैसी मानव-निर्मित आपदाओं के कारण पूरा विश्व आपातकाल का अनुभव कर रहा है । कोरोना विषाणु के कारण लाखों लोगों की मृत्यु हो चुकी है और करोडों लोग इससे ग्रस्त हैं । इससे मनुष्य द्वारा की गई प्रगति, विज्ञान की आधुनिकता का सारा अहंकार चूर-चूर हो गया । केवल भौतिक विकास नहीं, अपितु आत्मिक विकास साध्य कर, अर्थात विकास में संतुलन रखकर ही मनुष्य सफल और समाधानी जीवन जी सकता है । मनुष्य की स्वार्थी और अहंकारी वृत्ति तथा समष्टि प्रारब्ध ही आज के इस आपातकाल का कारण है । जबकि हमारी महान हिन्दू संस्कृति तो सदैव से ही प्रकृति की पूजा, अन्यों का विचार और प्रत्येक कर्म में सात्त्विकता का विचार करती आई है । इसलिए हमें पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण त्याग देना होगा ।
अंतिम सत्र में पू. नीलेश सिंगबाळजी ने कोरोना विषाणु के विरुद्ध आध्यात्मिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए सरकारी नियमों के पालन के साथ-साथ सनातन संस्था द्वारा शोध किया गया श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री गुरुदेव दत्त –
श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – श्री दुर्गादेव्यै नमः – ॐ नम शिवाय, यह जप करने के लिए बताया । साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी प्रभावशाली सिद्ध अग्निहोत्र करने के लिए भी समाज का आवाहन किया । नियमित साधना करने से सर्वश्रेष्ठ प्रकार की सुरक्षा प्राप्त हो सकती है, इसके लिए कुलदेवता तथा भगवान दत्तात्रेय के नामजप का महत्त्व भी विषद किया । सनातन द्वारा निर्मित सनातन चैतन्यवाणी एप, आपातकालीन सुरक्षा एप, सनातन के ग्रंथ आदि के बारे में जानकारी भी इस समय दी गई । कार्यक्रम के अंत में जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान भी उन्होंने किया ।
समिति की कार्यकर्त्री श्रीमती सानिका सिंह ने कार्यक्रम की प्रस्तावना और सूत्रसंचालन किया । ‘ऑनलाइन’ के माध्यम से संचालित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा, असम आदि ईशान्य पूर्व राज्य के जिज्ञासु व धर्मप्रेमी उपस्थित थे । इस कार्यक्रम का लाभ दो सहस्र से अधिक जिज्ञासुओं ने लिया ।