आयुर्वेद का प्रतिष्ठान केरल सरकार के स्वामित्ववाला होने का स्पष्ट !

एक ओर केरल की वामपंथी सरकार की ओर से गोहत्या बंदी का विरोध किया जाता है और गोमांस का भोज आयोजित किया जाता है, तो दूसरी ओर उसी दल की सरकार की ओर से सरकारी स्तर से गोबर और गोमूत्र से उत्पाद चलानेवाला प्रतिष्ठान चलाकर पैसे कमाए जाते हैं ! यदि ऐसा हो, तो केरल सरकार राज्य में गोहत्या बंदी लागू क्यों नहीं करती ?

(प्रतिकात्मक छायाचित्र)

थिरूवनंतपूरम् (केरल) – केरल सरकार के स्वामित्ववाला आयुर्वेद औषधि उत्पाद प्रतिष्ठान ‘औषधि’ गाय का गोबर, मूत्र, दूध, घी ओर दही से बनाए गए ‘पंचगव्य घृतम’ का क्रय करते हुए दिखाई दिया है । यह ‘औषधि’ प्रतिष्ठान यह कहता है कि उसके द्वारा उत्पादित यह औषधि मानसिक रोग, पीलिया, बुखार, अपस्मार, स्मरणक्षमता और एकाग्रता में सुधार लाती है ।

१. ‘औधधि’ प्रतिष्ठान अपना परिचय भारत के सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत औषधियों के सबसे बडे उत्पादक के रूप में कराता है । केरल सरकार को निरंतर आर्थिक लाभ अर्जित कर देनेवाले और लाभांश दिलानेवाले सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में से एक प्रतिष्ठान है ।

२. जालस्थल से, साथ ही सामाजिक माध्यमों से इस प्रतिष्ठान की जानकारी बडी मात्रा में प्रसारित की जा रही है । इसके कारण लोग वामपंथियों से यह पूछ रहे हैं कि क्या वे अब तो गाय का अनादर रोकेंगे ?