ईश्वर पर श्रद्धा रखने से ही संकटकाल का सामना करने हेतु मनोबल बढेगा ! – पू. नीलेश सिंगबाळ, धर्मप्रचारक संत, हिन्दू जनजागृति समिति

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा पूर्वाेत्तर भारत के विविध राज्यों के लिए ‘ऑनलाइन श्रद्धा संवाद’ का आयोजन !

पटना (बिहार) – आज पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है । ऐसे समय में स्थिर रहने हेतु आत्मबल की आवश्यकता होती  है । भगवान पर श्रद्धा रखने से हमारा मनोबल बढता है और ईश्वर कठिन प्रसंगों में हमारी सहायता भी करते हैं । इसी दृष्टि से हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘ऑनलाइन श्रद्धा संवाद’ का आयोजन किया गया । इसमें उत्तर प्रदेश, झारखंड तथा बिहार के विविध जिलों से जिज्ञासु बडी संख्या में सम्मिलित हुए ।

हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक संत पू. नीलेश सिंगबाळजी ने बताया कि ‘‘अनेक भविष्यवेत्ता एवं संतों ने आनेवाले भीषण आपातकाल के संदर्भ में बताया है । ईश्वर का वचन है, ‘न मे भक्तः
प्रणश्यति ।’ अर्थात मेरे भक्तों का नाश नहीं होगा । इसलिए ऐसे काल का सामना करने हेतु हमें श्रद्धा बढाने के लिए साधना करनी चाहिए । कलियुग की साधना है नामजप । हम सभी को अपने कुलदेवता का नामजप करना चाहिए । निष्ठापूर्वक साधना करने से अनेक लोग अपने जीवन में आमूलाग्र परिवर्तन अनुभव कर रहे हैं ।’’

सनातन संस्था की श्रीमती प्राची जुवेकर ने विविध देशों में प्रार्थना पर किए गए वैज्ञानिक शोधकार्य के बारे में बताया । उसके अनुसार कर्करोग के ८ में से ७ रोगियों के अध्ययन में पाया गया कि श्रद्धा एवं प्रार्थना के कारण उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ । इसी प्रकार उच्च रक्तचाप के ५ में से ४ रोगी, हृदयविकार के ६ में से ४ रोगी तथा ५ में से ४ सामान्य रोगी, ये सभी श्रद्धा एवं प्रार्थना के कारण ठीक हो रहे थे । कोरोना के इस कठिन समय में हम ईश्वर से कौन-कौनसी प्रार्थना कर सकते हैं, यह भी उन्होंने बताया ।

हिन्दू जनजागृति समिति के समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने बताया कि अक्षय तृतीया का दिन पूर्णतः शुभ होने के कारण इस दिन किए गए दान-पुण्य एवं साधना का क्षय नहीं होता । कोरोना विषाणुओं के विरुद्ध स्‍वयं में रोगप्रतिरोध शक्ति बढाने के लिए आध्‍यात्मिक बल प्राप्‍त हो, इसके लिए नामजप बतानेवाला ‘सनातन चैतन्यवाणी’ एंड्राइड एप डाउनलोड करने का आवाहन भी उन्होंने किया । अंत में अनेक जिज्ञासुओं ने उनके मन की शंकाएं पूछीं । कार्यक्रम समाप्त होने के उपरांत भी जिज्ञासु साधना संबंधी प्रश्न पूछ रहे थे । उन्होंने समिति के अन्य आयोजनों में सम्मिलित होने की इच्छा दर्शाई । इस सत्संग में सभी का उत्स्फूर्त प्रतिसाद था ।