कानपुर (उत्तर प्रदेश) में मंदिरों की भूमि ऐंठ कर उसपर बिरयानी की दुकानें लगाने की बात उजागर ।

हिंदुओं को धर्म की शिक्षा नहीं है, इसलिए उन्हें अपने श्रद्धा स्थलों का कोई मूल्य नहीं है ! इसी लिए वे ऐसी गतिविधियां चलने देते हैं ! ‘ऐसे लोगों को संकट के समय में भगवान को भी क्यों बचाना चाहिए ?’ ऐसा प्रश्न किसी के मन में आया, तो उसमें क्या गलत है ? क्या ऐसी बातें कभी अन्य पंथियों के श्रद्धा स्थानों के संदर्भ में होती हैं ?

कानपुर (उत्तर प्रदेश) – यहां के चमनगंज में कुछ पुराने मंदिर तोडकर उनकी भूमि बलपूर्वक ऐंठ कर, उनपर बिरयानी की दुकानें स्थापित करने का संतापजनक प्रकार उजागर हुआ । कानपुर की महापौर प्रमिला पांडे के पास एक परिवाद प्रस्तुत किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पुराने मंदिरों को तोडकर उनकी भूमि ऐंठी जा रही है । पांडे ने उसका प्रत्यक्ष निरीक्षण करने के उपरांत पाया कि, लोगों ने जीर्ण-शीर्ण मंदिरों पर अधिकार कर लिया था तथा अनेक पुराने मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था । एक मंदिर में ताला लगाया था । जब ताला खोलने के लिए स्थानीय लोगों का सहयोग नहीं मिला, तो महापौर पांडे ने स्वयं ही ताला तोडा । तब उन्होंने मंदिर में कूडा भरने का संतापजनक दृश्य दिखाई दिया । महापौर ने उनके साथ घटना स्थल पर उपस्थित सहायक पुलिस आयुक्त सीता मऊ को अतिक्रमण हटाने एवं मंदिर की स्वच्छता करने का आदेश दिया । साथ ही, महापौर ने इन प्रकरणों की जांच कर बिरयानी की दुकानों के सभी अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया । उन्होंने इस क्षेत्र के सभी मंदिरों का निरीक्षण करने का भी आदेश दिया । पुलिस ने बताया कि इस प्रकरण में कार्रवाई की जा रही है ।