अमेरिका की कत्थक नृत्यांगना प्राची दीक्षित और रीता मुस्तफी, इंग्ंलैंड की नृत्यांगना काजल शर्मा, पैरिस की शर्मिला शर्मा, दुबई की निशी सिंह और रशिया की स्वेटलाना निगम आदि विशेष रूप से विदेश में भारतीय नृत्यकला प्रसार का कार्य बडी मात्रा में कर रही हैं । इन सबको पुरस्कार प्रदान किए गए । इस कार्यक्रम में सहभागी करने के लिए डॉ. रेखा मेहरा और अधिवक्ता उमेश शर्मा के प्रति महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने आभार व्यक्त किया है ।
फोंडा (गोवा) – अंतरराष्ट्रीय महिला दिन के उपलक्ष्य में ८ मार्च २०२१ को ‘उर्वशी डान्स, म्युजिक आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी’ द्वारा ‘सुर-ताल हुनर का कमाल – वुमन्स डे स्पेशल’ ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के संगीत, नृत्य व कला में विशेष कार्य करनेवाली महिलाओं को ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ प्रदान किया गया । इन पुरस्कारप्राप्त महिलाओं में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की संगीत समन्वयक कु. तेजल पात्रीकर और शोध समन्वयक कु. प्रियांका लोटलीकर का भी समावेश है ।
इस कार्यक्रम में अमेरिका, इंग्लैंड, पैरिस, दुबई और रशिया में कत्थक नृत्य प्रशिक्षण के लिए कार्यरत नृत्य गुरु तथा भारत के उत्तर भारत और दक्षिण भारत के संगीत एवं नृत्य क्षेत्रों में कार्यरत महिला गुरु एवं कलाकार, इस प्रकार कुल १६ महिलाओं को ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ प्रदान किए गए । यह पुरस्कार प्राप्त महिलाओं ने इस कार्यक्रम में मनोगत व्यक्त कर उर्वशी डान्स, म्युजिक आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी की संचालिका डॉ. रेखा मेहरा के प्रति आभार व्यक्त किए । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन आर.जे. राहुल ने किया ।
जीजामाता का आदर्श सामने रखकर आज की महिलाओं को समाज और
राष्ट्र को सुसंस्कारित करने के लिए प्रयास करने चाहिए ! – कु. तेजल पात्रीकर
कु. तेजल पात्रीकर ने अपना यह पुरस्कार महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों में समर्पित किया । उन्होंने कहा कि ‘‘स्त्री एक शक्ति है, जिसके कारण घर और समाज पर अच्छे संस्कार होते हैं । वही स्त्री यदि साधना करनेवाली हो, तो उसके कारण समाज और राष्ट्र सुसंस्कारित होगा । इसका उदाहरण छत्रपति शिवाजी महाराज की माताजी जीजाबाई हैं जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को राष्ट्र के लिए तैयार किया । उनका आदर्श सामने रखकर आज की महिलाओं को समाज और राष्ट्र को सुसंस्कारित करने के लिए प्रयास करने चाहिए ।’’
आध्यात्मिक साधना से ही नारी में ईश्वरीय शक्ति का विकास संभव ! – कु. प्रियांका लोटलीकर
‘‘यह पुरस्कार मिलना, परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की ही कृपा है । नारी ईश्वरीय शक्ति का प्रतीक है । आध्यात्मिक साधना से ही इस ईश्वरीय शक्ति का विकास नारी में होना संभव है । इस कारण स्त्री को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होते हैं । उसके लिए सबको जीवन में निरंतर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए’’, ऐसा मनोगत कु. प्रियांका लोटलीकर ने व्यक्त किया ।