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नई देहली : गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई मुठभेडों में २० भारतीय सैनिक हुतात्मा गए तथा ४५ चीनी सैनिक मारे गए थे । इसके उपरांत, भारत में चीन के विरुद्ध क्रोध की लहर भडक उठी एवं विभिन्न प्रसार माध्यमों द्वारा चीनी साहित्य के बहिष्कार की मांग ने पुनः एक बार तूल पकड लिया । इसके पश्चात, केंद्र सरकार ने भी कई चीनी प्रतिष्ठानों के साथ हुए करारों को भी निरस्त कर दिया । परिणामस्वरूप, भारत के साथ चीन का व्यापार अल्प होनेकी अपेक्षा थी; परंतु वास्तव में यह देखा गया कि, इधर विगत ८ महीनों में वह अधिक रहा है। आंकडें दर्शाते है कि, इस अवधि में, भारतीयों द्वारा की गई विदेशी खरीद का १८ प्रतिशत चीन से था ।
China displaces the U.S. to regain India's top trade partner slot in 2020. https://t.co/Bha1FDlZ12
— BloombergQuint (@BloombergQuint) February 24, 2021
वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट पर नवंबर २०२० तक के आंकडें उपलब्ध हैं, जिसमें यह जानकारी दी गई है । वर्ष २०१९ में, यह खरीद मात्र १५ प्रतिशत थी । अर्थात, गलवान घाटी में हुए संघर्ष के पश्चात के आठ महीनों में, भारतीयों ने चीनी सामानों की खरीद में ३ प्रतिशत की वृद्धि की है। इसके विपरीत, भारत का निर्यात २८ प्रतिशत न्यून हो गया । चीन के निर्यात में भी १२ फीसदी की गिरावट आई है । इसका अर्थ यह है कि चीनी नागरिकों ने भारतीय साहित्य को लेने से नकारा, जबकि भारतीयों ने किसी भी अन्य समय की तुलना में अधिक चीनी साहित्य खरीदा ।
साल 2020 में चीन एक बार फिर से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है#China #India #trade https://t.co/EP6dW7XYaf
— AajTak (@aajtak) February 24, 2021
१. अप्रैल २०२० से नवंबर २०२० तक, भारतीयों ने १६ लाख ३३ सहस्त्र करोड रुपये का विदेशी साहित्य खरीदा, जबकि भारत ने विदेशों में १३ लाख करोड रुपये के साहित्य का विक्रय किया । इसमें १ लाख करोड रुपये से अधिक की सामग्री चीन को बेची ।
२. वर्ष २०११-१२ तक, संयुक्त अरब अमीरात भारत का सबसे बडा व्यापारिक भागीदार था; परंतु उसके पश्चात वर्ष २०१७ तक चीन ने यह स्थान बना लिया था । अगले दो वर्षों के लिए अमेरिका ने यह स्थान ले लिया और अब चीन ने पुनः यह स्थान प्राप्त कर लिया है । गत वर्ष, भारत एवं चीन के दरम्यान ३ लाख ९१ सहस्त्र रुपये का व्यापार हुआ; परंतु, इसमें चीन के पास अधिक व्यापार है, जबकि भारत का अंश न्यून है । चीन का व्यापार भारत की तुलना में १ लाख ८७ सहस्त्र रुपये से अधिक है ।