शंकराचार्य ने नर्मदा नदी पर बांध निर्माण का विरोध किया !
यह बात श्रीशंकराचार्य को क्यों बतानी पडती है ? इस पर सरकार और प्रशासन का ध्यान क्यों नहीं जाता ?
जबलपुर (मध्य प्रदेश) – नर्मदा की दूषित सहायक नदियों के कारण, नर्मदा में दूषित पानी पहुंच रहा है । इसे रोकने की आवश्यकता है । द्वारका के शंकराचार्य और ज्योतिष पीठ के स्वामी, स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि, ‘नालियों का पानी नदियों में मिलाना देश के लिए खतरनाक है ।’ इस समय शंकराचार्य ने नर्मदा नदी पर बांध के निर्माण का विरोध किया । ‘बांध से पानी भूगर्भ में रिसता है और उष्णता को बढाता है तथा भूकंप की संभावना अधिक होती है’, उन्होंने कहा । (हिंदू राष्ट्र में बांधों के बजाय झीलों और तालाबों का निर्माण किया जाएगा ! – संपादक)
शंकराचार्य ने आगे कहा,
१. हिरन नदी का गंदा पानी नर्मदा नदी में मिलाया जा रहा है । शहरी नालों के पानी को नदी में प्रवेश से रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं । यह सरकार और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी होनी चाहिए । हम नर्मदा नदी को ‘माँ’ मानते हैं और सभी की उस पर श्रद्धा है ।
२. जनसंख्या वृद्धि के कारण, नालों की संख्या भी बढ रही है और उनका पानी सीधे नदी में बहाया जा रहा है । इसे रोकने के लिए, शुद्धिकरण परियोजनाओं को लागू किया जाना चाहिए, ताकि दूषित पानी नदी में न जाए और नदी का पानी प्रदूषित न हो । यदि पानी प्रदूषित है, तो हमें बेहतर जीवन और भोजन कैसे मिल सकता है ? नदियों को स्वच्छ रखना सबकी जिम्मेदारी है ।
मुख्यमंत्री से पुन: चर्चा करेंगे !
मैंने मुख्यमंत्री को बताया था कि नालों का प्रदूषित पानी नर्मदा नदी में मिलाया जा रहा है । तब उन्होंने जिला कलेक्टर को शुद्धिकरण परियोजना स्थापित करने का आदेश दिया था । उसके बाद से उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ । यह एक गंभीर प्रकरण है । मैं मुख्यमंत्री के साथ फिर से चर्चा करूंगा कि नालों के पानी को नदी में बहने से रोका जाए ।