हिन्दू राष्ट्र में कोई बांध नहीं होंगे, अपितु सरोवर एवं तालाब बनाए जाएंगे !
न्यूयॉर्क (अमेरिका ) – विश्व के ५८,७०० बडे बांधों में से अधिकांश बांध १९३० से १९७० की अवधि में बनाए गए थे । निर्माण के समय उनका जीवनकाल ५० से १०० वर्ष निर्धारित किया गया था । किसी भी बांध के ५० वर्ष के पूरे होने के उपरांत उससे संभावित संकट बढ जाते हैं । बांधों का टूटना, उनकी मरम्मत एवं रखरखाव के व्यय में वृद्धि होना, तल में कीचड इकट्ठा होना, प्रणाली में तकनीकी खराबी आना आदि समस्याएं आती हैं । इसलिए, संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में ऐसी आशंका व्यक्त की गई है, कि २०५० तक दुनिया की अधिकांश जनसंख्या ऐसे पुराने बांधों के प्रभावक्षेत्र में ही अपना जीवन यापन कर रही होगी । रिपोर्ट में अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, भारत, जापान, जाम्बिया, जिम्बाब्वे एवं अन्य देशों में बांधों का सर्वेक्षण किया गया था ।
संयुक्त राष्ट्र के विश्वविद्यालय के तत्वावधान में कनाडा के ‘जल, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य संस्थान’ द्वारा ‘कालबाह्य होनेवाले जल संसाधन : एक नया संकट’ नामक यह रिपोर्ट तैयार की गई है । रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से अनेक बांधों की आयु कुछ समय पूर्व ही समाप्त हो चुकी है अथवा निकट भविष्य में समाप्त होगी ।
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है,
१. वर्ष २०२५ तक, भारत के बडे बांधों में से एक सहस्र ११५ बांध लगभग ५० वर्ष की अपनी आयु पूरी करेंगे एवं विश्व के ऐसे अनेक पुराने बांध संकटकारी हो सकते हैं ।
२. पूरे विश्व के बडे बांधों में ७ से ८ सहस्र ३०० घन किलोमीटर पानी (कनाडा की लगभग ८० प्रतिशत भूमि व्याप्त करने के समान क्षेत्र) का संचय है । ९३ प्रतिशत बडे बांध मात्र २५ देशाों में हैं ।
३. ३२ सहस्र ७१६ बडे बांधों में ५५% बांध चीन, भारत, जापान एवं दक्षिण कोरिया आदि देशों में हैं ।
भारत के बांध
१. वर्ष २०२५ तक १ सहस्र ११५ बडे बांध ५० वर्ष पुराने हो जाएंगे ।
२. वर्ष २०५० तक, ४ सहस्र २५० बडे बांध ५० वर्ष से अधिक पुराने हो जाएंगे, जबकि ६४ बांध १५० वर्ष पुराने होंगे ।
३. केरल का १०० वर्ष पुराना मुल्लपेरियार बांध के टूटने से ३५ लाख लोगों का जीवन संकट से प्रभावित हो सकता है ।