लाचित बोडफुकन के पराक्रम और सराईघाट की लडाई में असमिया सेना की विजय का स्‍मरण करने के लिए संपूर्ण असम राज्‍य में प्रति वर्ष २४ नवंबर को लाचित दिवस मनाया जाता है ! – श्री. बिस्‍वा ज्‍योति नाथ, महाकाल सेना

हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत राज्यों के
लिए हिन्दू राष्ट्र जागृति ‘ऑनलाइन’ बैठक में ‘लाचित दिवस’ मनाया गया !

     कोलकाता (बंगाल) – पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत के पश्‍चिम बंगाल, असम, मेघालय और त्रिपुरा राज्‍यों से हिन्‍दुत्‍वनिष्‍ठ लोग इस ऑनलाइन बैठक में समिल्लित हुए थे । बैठक में महाकाल सेना, होजाई असम के सेनापति श्री. बिस्‍वा ज्‍योति नाथ ने लाचित बोडफुकन के जीवन से जुडे प्रेरणादायी प्रसंगों से उपस्‍थित जनों को अवगत करवाया । असम में मामा का स्‍थान बहुत बडा माना जाता है; परंतु जब एक प्रसंग में मामा से गलती हुई तो लाचित ने अपने मामा से कहां ‘तुम जैसे लोगों की वजह से ही देश परतंत्र होता है । मौत और दुश्‍मन कभी पूछकर नहीं आते हैं गद्दार । मेरे लिए देश से बढकर मामा नहीं ।’ इतना कहकर तलवार के एक आघात से मामा का सिर धड से अलग कर दिया । यह दु:साहस देखकर सभी के सभी अवाक रह गए । सैनिकों के कौतुहल को शांत करते हुए लाचित ने आज्ञा दी – ‘अपना समय और नष्‍ट किए बिना काम को पूरा करो और जल्‍द से जल्‍द इस गद्दार की लाश को मेरे सामने से हटाओ ।’ अब तक काम फिर आरंभ हो चुका था और सूर्योदय के पहले दुर्ग की अभेद्य प्राचीर की मरम्‍मत पूरी हो गई । वह दुर्ग ‘मोमाइकारा गढ’ कहलाने लगा । तब से असम में ‘देश से बडा मामा नहीं’, यह कहावत प्रसिद्ध हुई ।

     बैठक का संचालन समिति के बंगाल समन्‍वयक श्री. सुमन्‍तो देबनाथ ने किया । बैठक में समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर राज्‍यों के समन्‍वयक श्री. शंभू गवारे उपस्‍थित थे ।