केंद्र सरकार ने सुदर्शन टीवी के ‘यू.पी.एस.सी. में जिहाद’ के कार्यक्रम की अनुमति दी

  • सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपनी भूमिका पेश करते हुए कार्यक्रम में बदलाव का सुझाव दिया

  • प्रसारण पर अंतिम निर्णय सर्वोच्च न्यायालय करेगा

नई दिल्ली : केंद्र की भाजपा सरकार ने एक निजी समाचार चैनल, ‘सुदर्शन टीवी’ पर एक साप्ताहिक कार्यक्रम, ‘बिंदास बोल’, आरंभ किया है । सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि, जिहाद के विषय पर कार्यक्रम को कुछ बदलावों के साथ प्रसारित करने की अनुमति दी गई है । शीर्ष न्यायालय ने इसे स्थगित करते हुए केंद्र सरकार से कार्यक्रम पर टिप्पणी करने को कहा था । इसके अनुसार, सरकार ने अपना पक्ष रखा है । इस प्रकरण पर शीर्ष न्यायालय का निर्णय आने तक कार्यक्रम की प्रस्तुति नहीं हो सकती है ।

१. केंद्र सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा न्यायालय को दी गई जानकारी के अनुसार, ‘यु.पी.एस्.सी. जिहाद’ कार्यक्रम, जो मुसलमान समुदाय को सरकारी सेवा में ‘घुसपैठियों’ के रूप में चित्रित करता है, सही संदर्भ में नहीं था और उसमें सामाजिक विभाजन को प्रोत्साहित करने की संभावना है । इस चैनल को इस बारे में सतर्क रहने की जरूरत है ।

२. इससे पहले, इस चैनल के कार्यक्रमों में मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए “कारण बताओ” नोटिस जारी किया गया था । न्यायालय ने केंद्र को कानून के ढांचे के भीतर “कारण बताओ” नोटिस को जारी करने और अपने निष्कर्षों की सूचना न्यायालय देने का निर्देश दिया है ।

केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार अपमानजनक धार्मिक कार्यक्रम नहीं किया जा सकता है !

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, १९९४ के अनुसार, ऐसा कोई कार्यक्रम प्रसारित नहीं किया जा सकता है, जो किसी विशेष धर्म या समुदाय को लक्षित करता है या जिसमें धार्मिक समूहों के प्रति धार्मिक विचारों का अपमान या बढावा देने वाले शब्दों का उपयोग किया जाता है ।

आखिर यह प्रकरण क्या है ?

‘मुसलमानों ने ‘सरकारी नौकरियों’ में घुसपैठ की है और सरकार का ‘नौकरशाही जिहाद’ कैसा चल रहा है ? इस पर विशेष समाचार देखें’ – इस प्रकार की धारणा के साथ, एक वीडियो सुदर्शन टीवी द्वारा प्रसारित किया गया था । उसके बाद ‘यू.पी.एस.सी. जिहाद´ के कार्यक्रम के विरोध में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी कि कार्यक्रम मुसलमान विरोधी है और उन्हें निशाना बनाने के लिए झूठी खबरें दिखाता है । याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह कार्यक्रम मुसलमानों का यू.पी.एस.सी प्रतियोगी परीक्षा में बैठना “एक घुसपैठ का षडयंत्र” है । प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारियों और आईपीएस संघ द्वारा सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक, श्री सुरेश चव्हाणके, का विरोध किया गया है । इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने मांग की थी, कि न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी सुरेश चव्हाणके के खिलाफ कडी कार्रवाई करे ।