‘लक्ष्मी’ फिल्म के कुछ हिन्दूद्वेषी दृश्य !

‘लक्ष्मी’ फिल्म का ट्रेलर प्रदर्शित होने पर इस फिल्म के कारण ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन मिलने के कारण हिन्दुओं ने उसका विरोध किया था; परंतु इस फिल्म में ऐसे अनेक दृश्य हैं, जिनमें ‘हिन्दुओं की कथित संकीर्ण मनोवृत्ति’, ‘हिन्दुओं के साधु पाखंडी होते हैं’, आदि दिखाकर हिन्दू धर्म को लांछित किया गया है, तो दूसरी ओर ‘मुसलमान कैसे अच्छे होते हैं’, ‘मुसलमान फकीरों में आध्यात्मिक सामर्थ्य होता है’, इस आशय के दृश्य दिखाए गए हैं । ‘सेक्युलरिजम इन बॉलिवुड’ नाम के ट्वीटर खाते ने इस पर प्रकाश डाला है । इस खाते के द्वारा प्रसारित फिल्म के कुछ दृश्य निम्न प्रकार से हैं –

१. ‘लव जिहाद’ का विरोध करनेवाले ‘हिन्दू-मुसलमान विवाद खडा करते हैं, ’ यह दिखाने का प्रयास !

फिल्म का नायक आसिफ (अभिनेता अक्षय कुमार), नायिका रश्मि (अभिनेत्री कियारा अडवानी) और उनके लगभग १० वर्ष के भतीजे में एक संवाद दिखाया गया है । उसमें नायिका के हिन्दू होने से और नायिका के पिता का उनके विवाह के लिए विरोध होने से भतीजा कहता है, ‘‘क्या अभी भी दादाजी ‘हिन्दू-मुसलमान’ विवाद में ही फंसे हैं ?’

२. देवी के गीत के समय लोगों में भक्ति का लवलेश भी न होना !

एक दृश्य में आसिफ को देवी के जागरण के धार्मिक कार्यक्रम में देवता का अनादर करनेवाला गीत गाता हुआ दिखाया गया है । इस गीत के समय लोग हंस रहे हैं और उनमें भक्ति का लवलेश भी देखने को नहीं मिलता ।

३. मुसलमान के द्वारा हिन्दू साधुओं को पाखंडी दिखाने का प्रयास !

अन्य एक प्रसंग में एक हिन्दू साधु को एक महिला में समाहित भूत निकालते हुआ दिखाया गया है । इस समय वहां अनेक लोग इकट्ठे हैं । साधु ने महिला में समाहित भूत निकालने का चमत्कार किया है । तब नायक आसिफ वहां जाकर ‘साधु किस प्रकार हाथ की सफाई दिखा रहा है और वह कैसे पाखंडी है’, यह स्पष्ट कर लोगों को बता रहा है । इससे हिन्दू साधु-संतों का महत्त्व अल्प करने तथा ‘हिन्दू साधु-संत पाखंडी ही होते हैं’, यह संदेश देने का प्रयास किया गया है ।

४. मुसलमान फकीर के उदात्तीकरण का प्रयास !

फिल्म में आगे जाकर आसिफ को ही भूत के द्वारा पकडे जाने का दिखाया गया है । तब आसिफ को एक मुसलमान फकीर के पास ले जाया जाता है । जब फकीर उसका भूत निकालने का प्रयास करता है, तब आसिफ में विद्यमान काली शक्ति के बाहर निकलने से वहां स्थित एक दर्पण फूट जाता है और उस पर विभूति की फूंक मारने से उसे कष्ट होता है, ऐसा दिखाकर मुसलमान फकीरों में कितना आध्यात्मिक सामर्थ्य होता है, यह संदेश दिया गया है । साथ ही एक अन्य प्रसंग में आसिफ में विद्यमान भूत प्रकट होने का दिखाकर भूत फकीर के साथ युद्ध कर रहा है और वह फकीर से भयभीत है, ऐसा भी दिखाया गया है ।

५. हिन्दुओं को क्रूर, तो मुसलमानों को दयालु दिखाने का प्रयास !

एक तृतीयपंथी लडके को उसमे माता-पिता घर से बाहर निकाल देते हैं । तब ‘अब्दुल चाचा’ नाम का एक व्यक्ति उसे गोद लेता है और कहता है, ‘तुम मत डरो । माता-पिता को जब लडका होता है, तो वह ‘शिव’ होता है; लडकी होती है, तो वह ‘शक्ति’ का प्रतीक होती है; परंतु तुम विशेष हो और अर्धनारीश्वर हो । मैं आज से तुम्हारा नाम लक्ष्मण शर्मा के स्थान पर ‘लक्ष्मी शर्मा’ रखता हूं ।’ इससे हिन्दू कितने क्रूर, तो मुसलमान कितने दयालु और व्यापक विचारधारावाले होते हैं, यह दिखाने का प्रयास किया गया है ।