१. साधारण उपचार
अ. ‘जायफल घी में घिसकर मूंदी हुई आंखों पर लगाना चाहिए ।
आ. कांसे की कटोरी से हथेली और पैरों के तलवों पर तेल अथवा घी रगडें ।
इ. पाव लीटर हरे धनिया के रस में समान मात्रा में (२५० ग्राम) मिश्री डालकर धीमी आंच पर चाशनी बनाएं । प्रतिदिन इसमें से थोडी चाशनी लेकर उसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर शरबत बनाकर सोने से पूर्व पिएं ।
ई. रात को सोते समय १ गिलास (लगभग २०० मि.लि.) भैंस के गुनगुने दूध में मिश्री डालकर पिएं । दूध पीते समय एक एक चम्मच पिएं, गटागट न पिएं । इस उपचार से सवेरे आई हुई सुस्ती भी दूर होती है ।
उ. प्याज बारीक काटकर दही में डालकर रात को सोते समय वह खाएं । दमा से पीडित यह उपचार न करें ।
ऊ. २ चम्मच खोवा, १ गिलास गरम दूध और १ चम्मच शक्कर का मिश्रण रात को भोजन के उपरांत ग्रहण करें । खोवा पचने में भारी होने के कारण जिनकी भूख कम है, वे यह उपचार न करें ।
२. निद्रा न आना, इस विकार सहित अन्य लक्षण हों, तब किए जानेवाले उपचार
२ अ. वात के कारण सिर चकराना : अक्कलकारे की जड मुंह में रखकर उसका रस निगलते हुए सोएं ।
२ आ. आंखों की अशक्तता (कमजोरी) : चुका (हिन्दी शब्द मिळाला नाही???) नामक एक हरी सब्जी होती है । उसका रस १ लीटर और अरंडी का तेल २५० मि.ली., इसका मिश्रण उबालकर केवल अरंडी का तेल शेष रखें । प्रतिदिन रात में सोने से पहले इसका १ चम्मच तेल सिर की तालू पर लगाएं और आंखों में भी १ – १ बूंद डालें । इससे आंखों की थकान न्यून होती है तथा शांत नींद लगती है ।
२ इ. पित्त बढना
२ इ १. पित्त बढने से पेट में हलकेपन का भान होना : रात को सोते समय १ कटोरी केवल दूध की आइस्क्रीम धीरे-धीरे चूसकर खाएं । यह उपचार नियमित रूप से न करें ।
२ इ २. पित्त बढने से आंखों के आगे अंधेरा छा जाना : पके हुए तरबूज के २ भाग करें तथा उसमें से गूदा निकाल लें । इस प्रकार तरबूज के छिलके से बनी हुई टोकरी सिर पर पहनें । प्रति घंटे एक-एक टोकरी परिवर्तित कर पहनें । परिवर्तित की हुई टोकरी ठंडे पानी में डुबोकर रखें तथा तत्पश्चात उसका उपयोग करें । इस प्रकार प्रतिदिन दोपहर १२ से ४ के मध्य यह उपचार करें ।
२ ई. मानसिक लक्षण
२ ई १. मानसिक परिश्रम के कारण आनेवाली थकान
अ. १ चम्मच प्याज का रस, ४ चिमटी वेखंड पावडर और एक चम्मच शक्कर का मिश्रण रात के भोजन के उपरांत तुरंत लें । इस उपचार के कारण छोटे बच्चों की बौद्धिक वृद्धि भी अच्छी होती है ।
आ. ५ ग्राम चीज, ३ बदाम और १ बडा चम्मच शहद का मिश्रण रात को सोते समय खाएं । यह उपचार ३ सप्ताह करें । जिन्हें भूख नहीं लगती, वे यह उपचार न करें । इस उपचार से स्मृति भी सुधरती है ।
२ ई २. मानसिक तनाव
अ. रात को सोने से पूर्व एक चौथाई चम्मच दालचीनी का चूर्ण और १ चम्मच घिसा हुए जायफल का मिश्रण केवल अथवा कॉफी के साथ लें । यह उपचार ७ दिन करें और ३ दिन बंद रखें ।
आ. रात को सोने से पूर्व कॉफी के साथ १-२ चम्मच इलायची का चूर्ण और १ चम्मच घिसा हुआ जायफल लें । कामेच्छा न्यून होना, चिडचिड होना, आवाज सहन न होना, एकाकी रहना, ऐसी समस्याआें में इसका लाभ होता है ।
टिप्पणी
१. उक्त में से जिन उपचारों में रात को सोते समय पेट में औषधि लेनी हो, वहां औषधि लेने के उपरांत कुछ खाएं पिएं नहीं । केवल कुल्ला कर सोएं ।
२. जिन उपचारों में जायफल पेट में लेने के लिए कहा है, वे उपचार सदैव न करें, अन्यथा उनकी आदत पड जाती है ।
– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.
(संदर्भ : सनातन की आगामी ग्रंथमाला ‘शारीरिक विकारों पर घर में किए जानेवाले उपचार’)
साधकों को सूचना और पाठकों से विनती
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१. रोग का नाम
२. रोग के लक्षण
३. एलोपैथी के उपचारों की अवधि
४. आयुर्वेदिक उपचारों से ठीक होने में लगी अवधि