फ्रांस को कट्टरवाद और सामाजिक द्वेष के विरुद्ध लडने का पूर्ण अधिकार है !
संयुक्त अरब अमीरात की तरह ही अन्य इस्लामिक देशों से भी सामंजस्य दिखाने की अपेक्षा है । इसके लिए, संयुक्त अरब अमीरात को अब पहल करनी चाहिए तथा अन्य इस्लामी देशों को अपने अनुसार सोचने और कार्य करने की सीख देनी चाहिए ! क्या सामान्यत: अरबों को आदर्श माननेवाले मुसलमान इसका अनुकरण करेंगे ?
अबू धाबी (यूएई) – मुसलमानों को अपने भाषण में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने जो कहा, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है । मैक्रोन पश्चिमी देशों में मुसलमानों को अलग करने के विषय में नहीं सोचते हैं । वे अपनी सोच में सही हैं । मुसलमानों को पश्चिमी देशों में बेहतर ढंग से मिल-जुल कर रहने की आवश्यकता है । फ्रांस को अपने देश में कट्टरवाद और सामाजिक द्वेष के विरुद्ध लडने का पूर्ण अधिकार है । यह कहना गलत है कि मैक्रोन फ्रांस से मुसलमानों को भगाने का प्रयास कर रहे हैं, यूएई के विदेश मंत्री अनवर गार्गाश ने मैक्रॉन का समर्थन किया । उन्होंने जर्मनी के दैनिक ‘डेली वेल्ट’ के साथ एक साक्षात्कार में यह टिप्पणी की । पूरी दुनिया के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के व्यंगचित्र के प्रसंग पर फ्रांस का विरोध कर रहे हैं । उस पृष्ठभूमि में यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त अरब अमीरात जैसा महत्वपूर्ण इस्लामी देश, फ्रांस के पक्ष में है ।
UAE minister backs President Macron’s remarks on Muslims https://t.co/OiotWr5v88 pic.twitter.com/YcYXJDmtkT
— Al Jazeera English (@AJEnglish) November 2, 2020
इससे पूर्व, अबू धाबी के राजकुमार और यूएई सेना के उपप्रमुख कमांडर मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने फ्रांसीसी शहर नीस में एक कट्टरपंथी द्वारा चर्च पर किए गए आक्रमण की निंदा की थी । उन्होंने अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए मैक्रोन से टेलीफोन पर संपर्क किया । उन्होंने कहा था, ऐसे कार्य सभी धर्मों के सिद्धांतों और मूल्यों के विरुद्ध हैं जो शांति, सहिष्णुता और प्रेम सिखाते हैं । इससे कट्टरपंथियों को बढावा मिलता है । अपराध, हिंसा और आतंकवाद का किसी भी तरह से बचाव करना गलत है । यद्यपि पैगंबर पर मुसलमानों की अनन्य श्रद्धा है; तथापि इस सूत्र को हिंसा से जोडकर इसका राजनीतिकरण करना अनुचित है ।
मैक्रॉन ने क्या कहा था ?
अल जज़ीरा के साथ एक साक्षात्कार में, मैक्रोन ने कहा,
Macron says he understands Muslims’ shock over prophet cartoons https://t.co/2ifaH6SUaD pic.twitter.com/0RSS39CpO4
— Al Jazeera News (@AJENews) October 31, 2020
‘मैं पैगंबर के व्यंगचित्र से मुसलमानों की आहत भावनाओं को समझ सकता हूं और उनका सम्मान करता हूं; किंतु उन्हें भी मेरी भावनाओं को समझना चाहिए । मैं अपने देश में शांति बनाए रखना चाहता हूं और लोगों के अधिकारों की रक्षा करना चाहता हूं । मैं सदा अपने देश के लिखने, बोलने, सीखने और वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा करूंगा ।