बेंगलूरु (कर्नाटक) – यहां के सुब्रह्मण्यम् नामक गृहस्वामी के घर के परिसर की दीवार पर मार्ग की ओर देवताआें के चित्र लगाए गए थे । इससे हिन्दुआें की धार्मिक भावना पर आघात हो रहा था । इसलिए, कर्नाटक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता और अधिवक्ता संगठन की कार्यकारिणी के सदस्य अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. ने उन्हें कानूनी नोटिस भेजकर उनके ध्यान में ला दिया कि उन्होंने भारतीय दंड विधान की धारा २९५ अ के अनुसार अपराध किया है । इसके पश्चात, सुब्रह्मण्यम् ने दीवार से देवताआें के चित्र हटा दिए ।
अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. ने सुब्रह्मण्यम को भेजे नोटिस में लिखा था,
१. कुछ दिन पहले जब मैं उच्च न्यायालय से अपने मल्लेश्वरम् स्थित कार्यालय जा रहा था, तब आपके घर के परिसर की दीवार पर श्री महागणपति, श्री महालक्ष्मीदेवी, साईबाबा आदि देवताआें एवं संतों के चित्र लगे देखे । ये चित्र दीवार पर ऊपर से नीचे तक लगे थे । इससे स्पष्ट होता है कि ये चित्र लगाने का आपका उद्देश्य दीवार पर कोई लघुशंका न करे, जिससे उनकी रक्षा हो, यह था ।
२. ऐसा कर आपने देवताआें का अनादर किया है, जिससे हिन्दुआें की धार्मिक भावना आहत हुई है ।
३. इन देवताआें की आप पूजा करते हैं, ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिखाई दिया । अर्थात, आपने स्वार्थपूर्ति के लिए ही हिन्दुआें के श्रद्धाकेंद्रों का अनादर किया है ।
४. इन देवताआें के चित्रों के स्थान पर यदि आपने अपने पूर्वजों के चित्र लगाए होते, तो आपको कैसा लगा होता, इसपर विचार करें ।
५. अतः, आप यह नोटिस मिलने के २४ घंटे के भीतर उपर्युक्त सब देवताआें के चित्र हटा दें, नहीं तो आपके विरुद्ध न्यायालय में दीवानी एवं फौजदारी अभियोग चलाया जाएगा ।