चित्रपट में क्रांतीकारक कोमाराम भीम को इस्लामी गोल टोपी पहने हुए दिखाने पर राष्ट्र प्रेमियों का विरोध
हिंदुओं के योद्धाओं को मुसलमान दिखाने का प्रयास चिढ निर्माण करने वाला है ! हिंदुओं के देश में हिंदुओं की ओर से हिंदुओं के आदर्श का इस प्रकार अपमान करना लज्जास्पद है । इसके विरोध में केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करके केंद्रीय निरिक्षण बोर्ड को ऐसे भाग निकाल देने का आदेश देना चाहिए !
नई देहली – आने वाले तेलुगु चित्रपट ‘आर्आर्आर’ में निजाम और अंग्रेजों के विरुद्ध लडनेवाले आदिवासी योद्धा कोमाराम भीम पर आधारित है । (मूलरूप से आदिवासी शब्द ब्रिटिशों ने वर्ष १९३० में अस्तित्व में लाया । ‘आदिवासी’ मूलरूप से हिन्दू हैं, किंतु वन में रहने के कारण उनका उल्लेख ‘वनवासी’ नाम से किया जाता है ।) इस चित्रपट में वनवासी बने कोमाराम भीम को गोल टोपी पहना कर उनको मुसलमान दिखाने के कारण खेद व्यक्त किया जा रहा है । ‘बाहुबली’ चित्रपट के निर्देशक एसएस राजमौली ने यह चित्रपट निर्देशित किया है । कोमाराम भीम ने ‘जल, जंगल और जमीन’ ऐसा नारा देकर निजाम और उनके सैनिकों के विरुद्ध युद्ध किया था ।
१. तेलंगाना में आदिलबाद जिले के उदनूर में कोमाराम भीम की प्रतिमा स्थापित की गई है । वनवासी युवकों ने इस चित्रपट में कोमाराम को मुसलमान टोपी पहना दिखाए जाने पर विरोध व्यक्त किया है । ‘चित्रपट कोमाराम भीम को इस्लामी टोपी पहना भाग यदि हटाया नहींr गया, तो हम आंदोलन करेंगे’, ऐसी चेतावनी दी गई है ।
२. सामाजिक माध्यमों द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा है, ‘ट्रू इंडोलॉजी’ ट्विटर हैंडल का प्रयोग करनेवाले ने कहा, ‘कोमाराम भीम की लडकी का निजाम के तालुकदार अब्दुल सत्तार ने अपहरण कर उसका धर्मांतर किया था । ४०० कोटि रुपए खर्च कर बनाए जा रहे चित्रपट में झूठे प्रसंग क्यों दिखाए जा रहे हैं ?’,यह प्रश्न विचारणीय है ।