राज्यसभा में दंगा करने के लिए ८ सांसद एक सप्ताह के लिए निलंबित

उपसभापति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव भी रद्द कर दिया गया

  • यदि कोई नागरिक किसी सरकारी कार्यालय में घुसकर तोड-फोड करता है, तो उसे सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है । तथापि संसद में दंगा, होहल्ला और ध्वनिक्षेपक की तोडफोड में सीधे तौर पर शामिल होने वाले सांसदों को एक सप्ताह के निलंबन के साथ दंडित किया जाता है? क्या जनता पर जो नियम लागू होते हैं वे जनप्रतिनिधियों के लिए लागू नहीं होते ? या उनके लिए अलग कानून हैं ?

  • बार-बार दंगे कर सदन का समय नष्ट करने वाले एवं सार्वजनिक समय और धन बर्बाद करने वाल सांसदों की सदस्यता रद्द करने के लिए सरकार कानून क्यों नहीं बना रही 

नई देहली : राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने केंद्र सरकार के कृषि बिल को लेकर राज्यसभा में हुई हाथापाई के संदर्भ में एक सप्ताह के लिए आठ सांसदों को निलंबित कर दिया है । इनमें तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन तथा डोला सेन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुन बोरा और सैयद नासिर हुसैन के साथ-साथ माकप के सांसद केके रागेश और एलमलारन करीम के नाम हैं ।

विपक्षी सांसदों ने तीन बिलों – व्यापार और वाणिज्य (पदोन्नति और सुविधा), किसान (अधिकार और सुरक्षा) कृषि सेवाओं पर मूल्य गारंटी और समझौता, पर बहुत उपद्रव किया । वे पीठासीन उपसभापति की सीट के सामने खुले स्थान में आकर नारेबाजी की एवं उपसभापति के ध्वनिक्षेपक को तोड डाला तथा नियम पुस्तिका को भी फाड कर फेंक दिया । इसे गंभीरता से लेते हुए इन सांसदों के विरुद्ध उपरोक्त कार्रवाई की गई इसके अतिरिक्त विपक्ष की ओर से उपसभापति के विरुद्ध पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को भी रद्द कर दिया गया । कृषि विधेयक पर चर्चा स्थगित करने और निर्धारित समय के बाद भी सदन की कार्यवाही चालू रखने के कारण बारह विपक्षी दलों ने उपसभापति के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव दिया था ।