त्रावणकोर देवस्वम विभाग शबरीमला मंदिर का सोना गिरवी रखकर ब्याज लेगा

  • कोरोना के कारण नियमित आय बंद होने से खर्चा चलाने के लिए सोना गिरवी रखने का निर्णय लेने का दावा

  • केरल उच्च न्यायालय की अनुमति के पश्चात सोना गिरवी रखा जाएगा

  • इसके द्वारा कोरोना के नाम पर मंदिरों का सोना गिरवी रखने का और कुछ समय पश्चात उसे बेच देने का यह बोर्ड का षड्यंत्र है, ऐसा किसी ने कहा, तो उसमें अनुचित क्या है ?
  • हिन्दुओं के मंदिर सरकारीकृत होने के पश्चात मंदिरों को पैसा पर्याप्त नहीं पड रहा है । अन्य धर्मियों को भी कोरोना से कष्ट हुआ है; परंतु उसके लिए उन्होंने अपने आस्था-केंद्रों की संपत्ति को सरकार के पास गिरवी रखने का कोई प्रयास किया हो, ऐसा सुनने में नहीं आया है; क्योंकि उनके आस्था-केंद्र के सरकारीकृत नहीं हुए हैं, इसे ध्यान में लेना चाहिए !

थिरुवनंतपुरम (केरल) – कोरोना के कारण मंदिरों की आय बाधित होने से त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने शबरीमला मंदिर का सोना रिजर्व बैंक के पास गिरवी रखकर उस पर मिलनेवाले ब्याज की सहायता से मंदिरों का नियमित खर्चा चलाने का निर्णय लिया है । उसके अनुसार अब बोर्ड ने उसके कार्यक्षेत्र में आनेवाले १ सहस्र २५० मंदिरों के कोष में उपलब्ध सोने की जानकारी लेकर उसके मूल्य का आंकलन करना आरंभ किया है । इस बोर्ड ने १ सहस्र किलो सोना गिरवी रखने का विचार किया है । इससे पूर्व तिरुपति मंदिर समिति और शिरडी के साईबाबा संस्थान ने भी इस प्रकार से सोना गिरवी रखा था । इससे मिलनेवाले पैसे पर कर (टैक्स) नहीं लगता ।

बोर्ड के अध्यक्ष एन वासु ने बताया कि

१. रिजर्व बैंक की ‘गोल्ड मॉनिटाइजेशन’ की योजना के अंतर्गत हम सोना गिरवी रखने पर विचार कर रहे हैं । इसके अंतर्गत १ सहस्र किलो से अधिक सोना गिरवी रखे जाने की संभावना है । इस पर हमें २.५ प्रतिशत ब्याज मिलेगा, जिससे प्रतिवर्ष १० करोड रुपए मिलेंगे; परंतु हमारा खर्चा चलाने के लिए इतने पैसे पर्याप्त नहीं होंगे ।

२. हमारे मंदिरों में ५ सहस्र नियमित कर्मचारी हैं । उन्हें वेतन देना पडता है, साथ ही ४ सहस्र सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति वेतन देना पडता है । इस पर प्रति माह ४० करोड रुपए खर्च होते हैं । पूजाविधियों के लिए प्रतिवर्ष १० करोड रुपए का खर्चा आता है । कोरोना के कारण अभीतक हमारी ३०० करोड रुपए की हानि हुई है ।

३. बोर्ड के अंतर्गत आनेवाले मंदिरों में से शबरीमला मंदिर की वार्षिक आय सर्वाधिक ३५० करोड रुपए है; परंतु कोरोना के कारण यह आय रुक गई है । सरकार ने हमें १०० करोड रुपए देने का आश्वासन दिया था, उसमें से हमें ५० करोड रुपए मिले हैं ।

४. सोना गिरवी रखने की अनुमति लेने हेतु हम केरल उच्च न्यायालय जानेवाले हैं । इस प्रक्रिया में २-३ महीने लगते हैं ।

५. मूर्तियों पर चढाए जानेवाले आभूषण और प्राचीन काल के आभूषण गिरवी नहीं रखे जाएंगे । केवल भक्तों द्वारा अर्पित सोना ही गिरवी रखा जाएगा ।