सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह बताने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए; अपितु उसे स्वयं ही यह करना चाहिए !
नई देहली : केंद्र सरकार को प्रशासन में क्षेत्रीय भाषाओं के समावेश पर विचार करना चाहिए । सरकार को हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त अनुसूचित भाषाओं (शेड्युल्ड लैंग्वेज) को भारत सरकार की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए राजभाषा अधिनियम, १९६३ में बदलाव करने पर विचार करना चाहिए । सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े ने एक सुनवाई के समय कहा, ‘इससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे लोग जो अंग्रेजी या हिन्दी नहीं बोलते, उन्हें स्थानीय भाषा में संवाद करने में आसानी होगी ।
Consider amending Official Languages Act: Supreme Court tells Centre
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— Hindustan Times (@htTweets) August 13, 2020
अनुसूचित भाषाएं वे हैं, जो संविधान की अनुसूची ८ में सूचीबद्ध हैं और केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त हैं । तब भी केंद्र सरकार के सभी सरकारी नियम, निर्देश और पत्राचार केवल हिन्दी और अंग्रेजी में ही किए जाते हैं । ३० जून को सर्वाेच्च न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में केंद्र द्वारा प्रस्तुत की गई अपील पर सुनवाई कर रही थी । उच्च न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया गया था कि वह वर्ष २०२० ‘पर्यावरणीय प्रभाव आकलन’ (ईआईए) की अधिसूचनाएं अनुसूचित भाषाओं में भाषांतरित करे । केंद्र सरकार ने १३ अगस्त को निवेदन दिया, ‘‘विधान के अनुच्छेद ३४३ के अनुसार अंग्रेजी के साथ हिन्दी, देश की आधिकारिक भाषा हैं ।’’