रामो राजमणिः सदा विजयते, रामम् रमेशम् भजे । रामेणाभिहता निशाचरचमू, रामाय तस्मै नमः ।’, इसका अर्थ है, ‘राजाआें में श्रेष्ठ श्रीराम की सदैव जीत होती है । ऐसे रमापति (सीतापति) श्रीराम को मैं भजता हूं । जिस श्रीराम ने राक्षसों की सेना नष्ट की, उस राम को मेरा नमस्कार है ।’ राममंदिर के मुक्तियुद्ध का इतिहास ५०० वर्षों का है ।
राममंदिर के अस्तित्व की दीर्घ लडाई !
बाबर ने वर्ष १५२८ में अयोध्या का राममंदिर तोडकर वहां मस्जिद बनवाई । उस समय वहां लगातार १० दिन तक हिन्दू लडते रहे । गुरुगोबिंद सिंहजी ने भी इसके लिए युद्ध किया । मुगलों के शासकाल में भी हिन्दू राममंदिर के लिए लडते रहे । उसके पश्चात अंग्रेजों के शासनकाल में भी यह लडाई जारी रही । १५ वीं शताब्दी से वर्ष १९४८ तक लगभभ २ लाख हिन्दुआें ने राममंदिर की लडाई में अपना बलिदान किया । इनमें १ लाख ७४ सहस्र हिन्दू बाबर के विरुद्ध लडते हुए वीरगति को प्राप्त हुए । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हिन्दूबहुल भारत में समाजवादी, कांग्रेसी और वामपंथी साम्यवादियों ने अपने प्रचंड हिन्दूद्वेषी मानसिकता के कारण मंदिर निर्माण में जो बाधाएं खडी कीं, वे अत्यंत रोष उत्पन्न करनेवाली हैं । हिन्दू अति सहिष्णु होने के कारण उन्हें लंबी न्यायालयीन लडाई लडते हुए न्याय की प्रतीक्षा करनी पडी । ६ दिसंबर १९९२ का दिन इस लडाई में मील का पत्थर सिद्ध हुआ । उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिबंध के पश्चात भी, राममंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों कारसेवकों का सिर पर ईंट रखकर अयोध्या में अत्यंत योजनाबद्ध तथा गुप्त रीति से जमा होना’, यह विश्व इतिहास की अति विशिष्ट घटना थी । कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का गुंबद तोडकर मुगल आक्रमणकारियों का प्रतिशोध लिया । इसके पश्चात मुंबई में दंगे हुए । विदेशी अध्यक्षतावाली कांग्रेस ने रामायण और रामसेतु को काल्पनिक बताया ! उनके अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राममंदिर न बने, इसके लिए न्यायालय में वैधानिक लडाई लडी । बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की ओर से भारत के वामपंथी पत्रकारों ने राममंदिर के विरुद्ध झूठा इतिहास फैलाने का बडा अभियान निरंतर चलाया । रोमिला थापर जैसे अनेक कट्टर साम्यवादी इतिहासकारों और साम्यवादी पत्रकारों ने तथाकथित शोधकर्ता की भांति अनेक चकित करनेवाले तथ्य प्रस्तुत कर, राममंदिर के प्रमाणों का द्वेषपूर्ण विरोध लगातार अनेक वर्ष तक किया । इंडियन काउन्सिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च (ICHR)’ के अध्यक्ष और जेएनयू में साम्यवाद का अड्डा बनानेवाले इरफान हबीब ने मुसलमान बुद्धिजीवियों को भडकाया । पश्चात कहा गया कि वहां मस्जिद नहीं, अपितु वह स्थान बौद्ध और जैन तीर्थक्षेत्र था । परंतु अंततः, पद्मश्री पुरस्कारप्राप्त के.के. मोहम्मद के राममंदिर-संबंधी प्रमाण सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए । परंतु, एक भी अंग्रेजी समाचार-पत्र ने इन प्रमाणों को प्रकाशित नहीं किया । अंततः ९ नवंबर २०१९ को न्यायालय के निर्णय से श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ । वास्तविक, सारे प्रमाण सूर्यप्रकाश की भांति स्पष्ट होने पर किसी अन्य प्रमाण की आवश्यकता ही नहीं थी । ५ सहस्र वर्ष पहले के रामायण ग्रंथ में अयोध्यानगरी का स्पष्ट उल्लेख आज भी मिलना, यह श्रीराम मंदिर का कितना बडा ज्वलंत प्रमाण है ! फिर भी, हिन्दुआें को इतने वर्ष तक न्यायालयीन निर्णय की प्रतीक्षा करनी पडी ! यह हिन्दुआें की सहिष्णुता का सर्वोत्तम उदाहरण है !
यह तो आरंभ !
यह लडाई अब समाप्त हुई और हिन्दुआें के राममंदिर निर्माण का स्वप्न साकार हुआ; इसका अर्थ इतना सीमित नहीं है । कलियुग के भीतर यह छठा कलियुग चल रहा है । इसके पश्चात आगे सहस्र वर्ष तक रहनेवाले सत्ययुग का प्रभात निकट आ रहा है । मुगल आक्रांताआें ने न केवल श्रीराम मंदिर, अपितु काशी और मथुरा सहित भारत के प्रत्येक गांव के लाखों छोटे-बडे मंदिर तोडे थे अथवा उनसे सटकर मस्जिदें बनवाईं । इतना ही नहीं, उन्होंने ‘तेजोमहालय’ (शिव का स्थान) को ताजमहल का रूप दिया । इस तथ्य को प्रसिद्ध इतिहासकार पु.ना. ओक ने सप्रमाण सिद्ध किया । इसलिए हिन्दुआें को अपनी अगली ध्येयपूर्ति की रूपरेखा सुस्पष्ट बना लेनी चाहिए । हिन्दुआें के अवतारी राजा श्रीराम को १४ वर्ष वनवास भोगना पडा था । रावणवध के पश्चात अयोध्या की प्रजा को रामराज्य का अनुभव हुआ । उसी प्रकार आज के युग में श्रीराम को तंबू में रहना पडा । उन्हें तंबू से निकालकर मंदिर में प्रतिष्ठित करने के लिए लंबी संवैधानिक लडाई लडनी पडी । इस लडाई में आज की बुद्धिजीवी रावणी प्रवृत्तियां परास्त हुईं । इस प्रकार, आगामी काल में रामराज्य का नवप्रभात लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ । श्रीराम का तत्त्व और आशीर्वाद हमारे साथ होने के कारण आगामी काल में हिन्दुआें का संगठन प्रचंड गति से होगा और हिन्दू राष्ट्र अर्थात रामराज्य की स्थापना संपूर्ण विश्व में होगी ! इसलिए राममंदिर का भूमिपूजन, आगामी रामराज्य से पहले की एक महत्त्वपूर्ण घटना है !